नौसेना के हाथ आएगी अमेरिकी गन!

विश्व के सभी युद्धक बेड़े गन से लैस होते हैं। ये सभी नौसेना के तोपखाने का हिस्सा होते हैं। इसका सबसे बड़ा फायदा है कि ये मिसाइल से सस्ती होती हैं।

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भारतीय सेनाओं को आत्याधुनिक हथियारों से लैस करने के लिए केंद्र सरकार लगातार प्रयत्न कर रही है। इसके लिए विश्व के विभिन्न देशों से आयुध मंगवाए जा रहे हैं। इसी क्रम में भारत ने अमेरिका को लेटर ऑफ रिक्वेस्ट भेजा है। जिससे भारतीय नौसेना के लिए 11127 एमएम की गन मंगाई जा सके।

भारतीय नौसेना के लिए अमेरिका से लिए जानेवाले गन की कुल कीमत 3,800 करोड़ रुपए है। ये गन बड़े युद्धक बेड़ों पर लगाए जाएंगे। जिसमें विशाखापत्तनम श्रेणी के विध्वंसक भी सम्मिलित हैं।

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ऐसे मिलेगी गन…

भारतीय नौसेना को पहली खेप में तीन गन अमेरिकी नौसेना के भंडार से दिये जाएंगे। इसका उद्देश्य है कि जल्द से जल्द से भारतीय युद्धक बेड़ों को अत्याधुनिक गन से लैस कर दिया जाए। इसके बाद जब अमेरिका में नई गन का निर्माण हो जाएगा तो पुरानी गन को नई गन से बदल दिया जाएगा।

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नौसेना गन का महत्व

विश्व के सभी युद्धक बेड़े गन से लैस होते हैं। ये सभी नौसेना के तोपखाने का हिस्सा होते हैं। इसका सबसे बड़ा फायदा है कि ये मिसाइल से सस्ती होती हैं। इसके अलावा सामान्य तौर पर इनका उपयोग ही अधिक होता है। नौसेना के तोपखाने में मिसाइल और टारपिडो का समावेश नहीं होता है। नौसेना के गन का मुख्य उपयोग ये है कि उन्हें एंटी सर्फेस और एंटी एयर हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।

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