सर्वोच्च न्यायालय ने देश के नौ राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा किये जाने की मांग कर रहे याचिकाकर्ता देवकीनंदन ठाकुर से कहा कि वो कोई ठोस उदाहरण कोर्ट के सामने रखें, जिसमें किसी राज्य विशेष में कम आबादी होने के बावजूद हिंदुओं को अल्पसंख्यक का वाजिब दर्जा मांगने पर न मिला हो।
कोर्ट ने साफ किया कि याचिकाकर्ता की ओर से ठोस उदाहरण रखने की सूरत में हम उस पर विचार कर सकते हैं, पर हम हिंदुओं को उनकी कम आबादी वाले राज्यों में अल्पसंख्यक नहीं करार दे सकते हैं। कोर्ट इस मसले पर पहले से ही दायर अश्विनी उपाध्याय की अर्जी के साथ सितंबर के पहले हफ्ते में सुनवाई करेगा।
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याचिका में है क्या?
याचिका में कहा गया है कि 9 राज्यों में हिन्दू अल्पसंख्यक हो चुके हैं, लेकिन फिर भी वो अपने पसंद के शैक्षणिक संस्थान नहीं खोल सकते हैं, जबकि संविधान अल्पसंख्यकों को ये अधिकार देता है। याचिका में जिन 9 राज्यों में हिंदुओं के अल्पसंख्यक होने का हवाला दिया गया है, उनमें लद्दाख, मिजोरम, लक्षद्वीप, कश्मीर, नागालैंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, पंजाब और मणिपुर शामिल हैं। याचिका में कहा गया है कि लद्दाख में 01 फीसदी, मिजोरम में 2.75 फीसदी, लक्षद्वीप में 2.77 फीसदी, कश्मीर में 4 फीसदी, नागालैंड में 8.74 फीसदी, मेघालय में 11.52 फीसदी, अरुणाचल में 29 फीसदी, पंजाब में 38.49 फीसदी और मणिपुर में 41.29 फीसदी हिंदू आबादी है।