धरती ने बिगाड़ा घड़ी का टाइम!

ब्रिटिश वेबसाइट डेली मेल की रिपोर्ट के मुतिबाक वैज्ञैनिक इस बात को लेकर परेशान हैं कि इसे कैसे मैनेज किया जाए। बता दें कि धरती अपनी धुरी पर 24 घंटे से पहले ही एक चक्कर पूरी कर लेती है। धरती की चाल में यह परिवर्तन वर्ष 2020 के जून से आया है।

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हमारी धरती पिछले 50 सालों की तुलना में सबसे ज्यादा तेजी से घूम रही है। ब्रिटिश वेबसाइट डेली मेल की रिपोर्ट के मुतिबाक वैज्ञैनिक इस बात को लेकर परेशान हैं कि इसे कैसे मैनेज किया जाए। बता दें कि धरती अपनी धुरी पर 24 घंटे से पहले ही एक चक्कर पूरी कर लेती है। धरती की चाल में यह परिवर्तन वर्ष 2020 के जून से आया है।

जून 2020 से आया बदलाव
अमुमन धरती अपनी धुरी पर 24 घंटे में एक चक्कर पूरी करती है। लेकिन वर्ष 2020 के जून महीने से यह अपनी धुरी पर ज्यादा तेजी से घूम रही है। इस वजह से सभी देशों के समय में बदलाव आ जाता है और वैज्ञानिकों को अपनी-अपनी जगहों पर मौजूद एटॉमिक क्लॉक का समय बदलना पड़ेगा। लेकिन इस बार वैज्ञानिकों को निगेटिव लीप सेकेंड अपनी-अपनी घड़ियों में जोड़ना होगा। बता दें कि वर्ष 1970 से अब तक कुल मिलाकर 72 लीप सेकेंड जोडे गए हैं। ब्रिटिश वेबसाइट डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले कई दशकों से धरती अपनी धुरी पर एक चक्कर लगाने में 24 घंटे से ज्यादा समय ले रही थी, लेकिन पिछले वर्ष जून से यह, एक चक्कर 24 घंटे में 0.5 मिलीसेकेंड कम समय में लगा रही है।

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50 वर्षों से उपलब्ध कराया जा रहा है बिलकुल सही आंकड़ा
बता दें कि बीते 50 वर्षों से धरती के अपनी धुरी पर घूमने का बिलकुल सही आंकड़ा उपलब्ध कराया जा रहा है। 24 घंटे में कुल 86,400 सेकेंड्स होते हैं। इतने सेकेंड में हमारी धरती एक चक्कर पूरा करती है। लेकिन पिछले साल जून से 86,400 सेकेंड्स में 0.5 मिलीसेकेंड की कमी देखी जा रही है। 19 जुलाई 2020 को यह आंकड़ा 24 घंटे से 1.4602 मिलीसेकेंड कम था।

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12 वर्षों में टूट चुका है रिकॉर्ड
2020 से पूर्व सबसे छोटा दिन 2005 में हुआ था। लेकिन पिछले 12 वर्षों में ये रिकॉर्ड 28 बार टूट चुका है। समय का यह बदलाव सिर्फ एटॉमिक क्लॉक पर ही देखा जा सकता है, लेकिन इस कारण से कई दिक्कतें आ सकती हैं। हमारी संचार व्यवस्था में काफी दिक्कतें आ सकती हैं। क्योंकि हमारे संचार माध्यम सोलर टाइम के अनुसार यानी चांद और सूरज के पॉजिशन के हिसाब से सेट किए जाते हैं।

निगेटिव लीप सेकेंड जोड़ने की जरुरत
पेरिस के इंटरनेशनल अर्थ रोटेशन सर्विस के वैज्ञानिक ने माना है कि धरती अपनी धुरी पर पहले के मुकाबले तेजी से घूम रही है। उन्होंने बताया कि समय को मैनेज करने के लिए पिछले 70 साल में 22 लीप सेकेंड जोड़े जा चुके हैं। लेकिन अब इसमें निगेटिव लीप सेकेंड जोड़ने की जरुरत हो सकती है।

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