बिहार में भारतीय जनता पार्टी बड़ा खेला करने की तैयारी में है। एनडीए से पिछले दिनों अलग हुए मुख्यमंत्री सुशासन बाबू को सबक सिखाने के लिए उसने कमर कस ली है। इसके लिए पार्टी के दिग्गज नेताओं की 16 अगस्त को महत्वपूर्ण बैठक हुई।
भारतीय जनता पार्टी की बिहार में आगे की रणनीति बनाने के लिए हुई बैठक में गृह मंत्री अमित शाह के साथ ही पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और बिहार के सभी बड़े नेता शामिल हुए। इस मैराथॉन बैठक में आगे की रणनीति पर मंथन कर उसका रोडमैप भी तैयार किया गया।
मोदी से खुश , लेकिन संगठन से निराश हैं लोग
मिली जानकारी के अनुसार बैठक में बिहार में पार्टी में नया उत्साह और जोश भरने को लेकर विशेष रूप से चर्चा की गई। इसके लिए प्रदेश में संगठनात्मक बदलाव करने पर फैसला किया गया। सूत्रों ने बताया कि बैठक से पहले बिहार के लोगों से पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में राय मांगी गई। अधिकांश लोगों ने मोदी को लेकर सकारात्मक उत्तर दिया, लेकिन स्थानीय नेतृत्व पर निराशा व्यक्त की।
सितंबर में होगा संगठनात्मक बदलाव
भारतीय जनता पार्टी के एक नेता ने बताया कि सितंबर के दूसरे सप्ताह में बिहार में बड़ा संगठनात्मक बदलाव देखा जाएगा। वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल का कार्यकाल सितंबर में समाप्त हो रहा है। उसके बाद नए अध्यक्ष की नियुक्ति के साथ ही विधानसभा और विधान परिषद में विपक्ष को और आक्रामक किया जाएगा।
35 सीटों पर जीत का लक्ष्य
भारतीय जनता पार्टी ने 2024 में होने वाले चुनाव के मद्दे नजर अभी से तैयारी शुरू कर दी है। पार्टी नेताओं ने लोकसभा चुनाव में कुल 40 में से 35 सीटों पर जीत हासिल करने का लक्ष्य रखा है। फिलहाल भाजपा के पास 17 लोकसभा सांसद हैं, जबकि नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के पास 16 सांसद हैं। इस तरह भाजपा ने अब स्वतंत्र रूप से पार्टी को मजबूत करने की कोशिश शुरू कर दी है। अब उसकी नजर जेडीयू विनिंग सीटों पर भी लगी है। इस कारण अब वह दलितों और महादलितों के वोट बैंक पर नजर गड़ाए हुए है।
विश्वासघात का आरोप
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने कहा कि बिहार में नया गठबंधन जनादेश के खिलाफ विश्वासघात है। यह लालू राज के वापसी की सुविधा के लिए बनाया गया गठबंधन है। हम नीतीश कुमार द्वारा किए गए विश्वासघात को जन-जन तक पहुंचाएंगे और 35 सीटों पर जीत हासिल कर उन्हें करारा जवाब देंगे। बिहार में लगभग 50 प्रतिशत ओबीसी और ईबीसी की आबादी है, जबकि एससी तथा एसटी की आबादी 17 प्रतिशत है।