सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई के आरे कालोनी में मेट्रो रेल से जुड़े निर्माण के लिए पेड़ काटने के मामले पर मुंबई मेट्रो रेल कारपोरेशन को निर्देश दिया कि वो अपने दिए गए हलफनामे का पालन करे और सुनवाई की अगली तिथि 30 अगस्त तक पेड़ों की कोई कटाई नहीं करे। जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली बेंच ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर पेड़ों की कटाई हुई तो हम सख्त कार्रवाई करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद मुंबई मेट्रो रेल कारपोरेशन ने भरोसा दिलाया कि, वहां पेड़ों की कटाई नहीं की जा रही है। पांच अगस्त को सुनवाई के दौरान मुंबई मेट्रो रेल कारपोरेशन के लिए पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि 2019 में हुई सुनवाई के बाद से एक पेड़ नहीं काटा गया। कुछ झाड़ियां ज़रूर हटाई गई हैं। 28 जुलाई को वकील गोपाल शंकरनारायण ने कहा था कि 2019 में आए कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया जा रहा है।
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सुप्रीम कोर्ट ने 7 अक्टूबर 2019 को आरे फॉरेस्ट में पेड़ काटने पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने कहा था कि आरे वन क्षेत्र में यथास्थिति बहाल की जाए। पेड़ों को काटना तत्काल रोका जाए। कोर्ट ने कहा था कि पौधों के जीवित बचने की दर का विश्लेषण किया जाए।
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