उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को कथित रूप से भड़काऊ भाषण देने के एक पुराने मामले में राहत मिल गई है। सर्वोच्च न्यायालय ने मामले में मुकदमा चलाने की अनुमति देने से मना कर दिया है।
मामला 2007 का है। इससे पहले 2017 में भी इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार ने मुकदमा चलाने की स्वीकृति देने से मना कर दिया था। सरकार ने कहा था कि मामले में सबूत नहीं है। इसके साथ ही इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भी इस पर मुकदमा चलाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। उसके बाद उस फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी। 26 अगस्त को सेवा निवृत्त होने से पहले सीजेआई एनवी रमण, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने यह फैसला सुनाते हुए योगी को बड़ी राहत दी।
Supreme Court dismisses plea challenging the decision to deny sanction to prosecute Uttar Pradesh Chief Minister Yogi Adityanath in a matter pertaining to alleged hate speech in 2007. pic.twitter.com/xEc2tFP5Ii
— ANI (@ANI) August 26, 2022
2007 का मामला
योगी आदित्यनाथ के खिलाफ याचिका दायर करने वाले परवेज परवाज ने कहा था कि उस समय के सांसद योगी आदित्यनाथ के भाषण से 2007 में गोरखपुर में दंगा भड़क गया था, जिसमें कई लोगों की मौत हो गई थी। वर्ष 2008 में दर्ज एफआईआर की राज्य सीआईडी ने कइ वर्ष तक आरोप की जांच की थी। उसने 2015 में राज्य सरकार से मुकदमा चलाने की स्वीकृति मांगी थी। लेकिन राज्य सरकार ने इसकी अनुमति देने से इनकार कर दिया था। उस समय तक योगी उत्तर प्रदेश के मुख्यंत्री बन चुके थे। लेकिन अब सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से योगी आदित्यनाथ को बड़ी राहत मिली है।