वैश्विक जलवायु परिवर्तन का प्रतिकूल असर इस साल मॉनसून पर देखा जा रहा है। देश में कहीं ज्यादा तो कहीं कम बारिश से हैरान मौसम वैज्ञानिकों ने इस साल अपने निर्धारित समय से एक पखवाड़े पहले ही मॉनसून के विदा होने की संभावना जताई है।
इस साल महाराष्ट्र में मॉनसून ने अपने निर्धारित समय से दो दिन पहले दस्तक दी थी। जून महीने में अच्छी बारिश नहीं हुई लेकिन जुलाई महीने में मॉनसून ने रफ्तार पकड़ी। महाराष्ट्र सहित देश में कहीं जबरदस्त बारिश हुई तो कहीं सूखे के हालात पैदा हो गए हैं। लालीना और अनलीला के मध्य काल में बने मौसम के मिजाज से मौसम वैज्ञानिकों ने इस साल सामान्य बारिश का पूर्वानुमान लगाया था और कृषि के अनुकूल बारिश होने की भविष्यवाणी की थी।
मुंबई में जुलाई महीने में जबरदस्त बारिश हुई लेकिन इसके बाद से मौसम की आंख-मिचौली जारी रही। धूप-छांव के बीच मध्यम व हल्की बारिश हो रही है। ठाणे और पालघर में भी ऐसा ही हाल है। राहत की बात है कि जुलाई महीने में हुई बारिश से मुंबई में जलापूर्ति करने वाली झीलें लबालब भर गई हैं। मुंबई व उपनगर में पानी की समस्या नहीं रह गई है।
राज्य के कई जिलों में भारी बारिश के कारण आई बाढ़ से बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है। खासकर विदर्भ और मराठवाड़ा में कृषि फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है। मौसम विभाग के मुताबिक राज्य में औसत से ज्यादा बारिश हुई है। बाढ़ से 18 लाख 21 हजार हेक्टेयर भूमि प्रभावित हुई है। इसमें 17 लाख 59 हजार 633 हेक्टेयर में खेती, 25 हजार 476 हेक्टेयर में बागवानी और 36 हजार 294 हेक्टेयर में फल फसल शामिल है। अब तक 21 हजार बाढ़ प्रभावितों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।
देश के अन्य राज्यों में भी इसी तरह के हालात रहे। कहीं जबरदस्त बारिश हुई तो कहीं सूखे के हालात पैदा हो गए हैं। वर्षा पर निर्भर क्षेत्रों में कृषि उपज को बहुत नुकसान पहुंचा है। इसका असर अनाज उत्पादन पर पड़ेगा। आम तौर पर मॉनसून की वापसी 17 सितंबर से शुरू होती है और 30 सितंबर तक मॉनसून विदाई लेता है लेकिन इस साल मॉनसून के पंद्रह दिन पहले जाने की संभावना जताई जा रही है।
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मौसम विभाग ने कहा है कि मॉनसून सितंबर के पहले सप्ताह में ही अपनी वापसी की यात्रा शुरू कर देगा। पिछले साल मॉनसून ने छह अक्टूबर को वापसी की थी। देश में इस साल अच्छा मॉनसून औसत रहा लेकिन उत्तर भारत के कुछ राज्यों में औसतन कम बारिश होने के कारण किसानों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। उत्तर प्रदेश में बारिश कम होने से धान की फसलों को नुकसान पहुंचा है। इस साल उत्पादन कम होने की आशंका जताई जा रही है।
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