सुप्रीम कोर्ट 2002 के गुजरात दंगों के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को फंसाने की साजिश रचने और झूठे सबूत गढ़ने के आरोप में गिरफ्तार तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत याचिका पर 1 सितंबर को सुनवाई जारी रखेगा। आज चीफ जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष दलीलें पूरी नहीं हो सकीं।
सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर एफआईआर
तीस्ता की जमानत का विरोध करते हुए गुजरात सरकार ने कहा है कि तीस्ता के खिलाफ एफआईआर न केवल सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर किया गया है बल्कि सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे के आधार पर की गई है। गुजरात सरकार ने कहा है कि अभी तक की जांच में अकाट्य तथ्य सामने आए हैं, जिनके आधार पर एफआईआर दर्ज की गई है। तीस्ता समेत दूसरे आरोपितों ने राजनीतिक, वित्तीय और दूसरे लाभों के लिए साजिश रची। गवाहों के बयान से भी इस बात की पुष्टि होती है कि तीस्ता ने एक राजनीतिक दल के वरिष्ठ नेता के साथ साजिश रची।
नरेंद्र मोदी को फंसाने षड्यंत्र
तीस्ता की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए 22 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को नोटिस जारी किया था। तीस्ता को 2002 के गुजरात दंगे के मामले में फर्जी दस्तावेज के जरिये फंसाने के मामले में 26 जून को गिरफ्तार किया गया था। तीस्ता ने गुजरात हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी। 2 अगस्त को गुजरात हाई कोर्ट ने जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए एसआईटी को नोटिस जारी कर सुनवाई की अगली तिथि 19 सितंबर तय की थी।
इसके पहले 30 जुलाई को अहमदाबाद के सेशंस कोर्ट ने यह कहते हुए तीस्ता की जमानत याचिका खारिज कर दी थी कि उसने गुजरात सरकार को अस्थिर और बदनाम करने की नीयत से काम किया। सेशंस कोर्ट ने कहा था कि जाकिया जाफरी की ओर से गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ तीस्ता के कहने पर ही शिकायत की गई थी। तीस्ता ने मोदी के खिलाफ जाकिया जाफरी का इस्तेमाल किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने 24 जून को जाकिया जाफरी की याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा था कि 2006 में जाकिया जाफरी की शिकायत के बाद निहित स्वार्थों के चलते इस मामले को 16 साल तक जिंदा रखा गया । सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जो लोग भी कानूनी प्रकिया के गलत इस्तेमाल में शामिल हैं, उनके खिलाफ उचित कार्रवाई होनी चाहिए।
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