दिल्ली उच्च न्यायालय जबरन धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए कानून बनाने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करेगा। जस्टिस संजीव सचदेवा की अध्यक्षता वाली बेंच सुनवाई करेगी। इससे पहले 25 जुलाई की सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि संसद और राज्यों की विधानसभाएं जबरन धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए कानून बनाने के लिए स्वतंत्र हैं। कोर्ट इस पर तभी विचार करेगा जब मजबूत तथ्य रखा जाए। कोर्ट अखबारों की खबरों पर गौर नहीं कर सकता।
कोर्ट ने की थी यह टिप्पणी
कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा था कि आप कह रहे हैं कि स्थिति ऐसी है कि कानून बनाने की जरूरत है। इसके लिए विधायिका सक्षम है। केंद्र सरकार को इस मसले पर कानून बनाने से कोई नहीं रोक रहा है। याचिकाकर्ता और भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय की ओर से कहा गया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि जबरन धर्मांतरण रोकने के लिए कानून बनाने की जरूरत है, तब कोर्ट ने कहा कि अगर मुख्यमंत्री को ऐसा लगता है तो वो कानून बना सकते हैं।
अश्विनी उपाध्याय ने किया था अखबारों की खबरों का जिक्र
कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा था कि क्या आपकी दलील के पक्ष में कोई आंकड़ा है कि दिल्ली जबरन धर्मांतरण का गढ़ हो गया है। तब अश्विनी उपाध्याय ने अखबारों की खबरों का जिक्र किया था । इसके बाद कोर्ट ने कहा कि वो अखबार की खबरों के आधार पर विधायिका को कानून बनाने की अनुशंसा नहीं कर सकता है।