#IACVikrant पहला स्वदेशी विमान वाहक पोत विक्रांत है प्रहरी, मारक क्षमता ऐसी कि दुश्मन दहल जाएगा

आईएसी विक्रांत भारत का वह अचूक अस्त्र है जो, प्रबल मारक क्षमता के साथ नौसेना को सभी प्रकार की सहायता देने में सक्षम है। दो हजार कमरों वाला और सौलह सौ नौसैनिकों को लेकर चलने की क्षमता इसमें है।

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भारत में ही तैयार यह पोत नौसेना को पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमता प्रदान करेगा। भारत अब अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन और फ्रांस सहित उन देशों के चुनिंदा क्लबों में शामिल हो गया है, जिन्होंने 40 हजार टन से अधिक के विमान वाहक का डिजाइन और निर्माण किया है। आईएसी विक्रांत 76 फीसदी से अधिक स्वदेशी सामग्री के साथ ‘आत्मनिर्भर भारत’ का उदाहरण है। इसे भारत का बाहुबली कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगा।

पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमता
इस आधुनिक विमान वाहक पोत के निर्माण के दौरान डिजाइन बदलकर वजन 37 हजार 500 टन से बढ़ाकर 40 हजार टन से अधिक कर दिया गया। इसी तरह जहाज की लंबाई 252 मीटर (826.772 फीट) से बढ़कर 262 मीटर (859.58 फीट) हो गई। यह 60 मीटर (196.85 फीट) चौड़ा है। यह जहाज कुल 88 मेगावाट बिजली की चार गैस टर्बाइनों से संचालित है और इसकी अधिकतम गति 28 समुद्री मील है। इस पर लगभग तीस विमान एक साथ ले जाए जा सकते हैं, जिसमें स्वदेश निर्मित उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर (एएलएच) और हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) के अलावा मिग-29के लड़ाकू जेट, कामोव-31, एमएच-60आर बहु-भूमिका हेलीकॉप्टर होंगे। इसमें कामोव का-31 एयरबोर्न अर्ली वार्निंग लगाया गया है, जिससे यह स्वदेशी जहाज नौसेना को पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमता प्रदान करेगा। इसकी निर्माण क्षमता ने इसे समुद्र का बाहुबली बना दिया है, जो शत्रु के लिये काल है।

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आत्मनिर्भर भारत को बल
भारतीय नौसेना के लिए कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में निर्मित एयरक्राफ्ट कैरियर की स्वदेशी डिजाइन और 76% से अधिक स्वदेशी सामग्री के साथ ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया इनिशिएटिव’ के लिए राष्ट्र की खोज में एक चमकदार उदाहरण है। इससे भारत की स्वदेशी डिजाइन और निर्माण क्षमताओं में वृद्धि हुई है। भारत अब अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन और फ्रांस सहित उन देशों के चुनिंदा क्लबों में शामिल हो गया है, जिन्होंने 40 हजार टन से अधिक के विमान वाहक का डिजाइन और निर्माण किया है।

आईएनएस विक्रांत को पुनर्जीवन
आईएनएस विक्रांत नाम के पोत ने 1971 के भारत-पाक युद्ध में तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) की नौसैनिक घेराबंदी करने में भूमिका निभाई थी। इसलिए आईएनएस विक्रांत का नाम जिन्दा रखने के लिए इसी नाम से दूसरा युद्धपोत स्वदेशी तौर पर बनाने का फैसला लिया गया। एयर डिफेंस शिप (एडीएस) का निर्माण 1993 से कोचीन शिपयार्ड में शुरू होना था लेकिन 1991 के आर्थिक संकट के बाद जहाजों के निर्माण की योजनाओं को अनिश्चित काल के लिए रोक दिया गया। 1999 में तत्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीस ने परियोजना को पुनर्जीवित करके 71 एडीएस के निर्माण की मंजूरी दी। इसके बाद नए विक्रांत जहाज की डिजाइन पर काम शुरू हुआ और आखिरकार जनवरी, 2003 में औपचारिक सरकारी स्वीकृति मिल गई। इस बीच अगस्त, 2006 में नौसेना स्टाफ के तत्कालीन प्रमुख एडमिरल अरुण प्रकाश ने पोत का पदनाम एयर डिफेंस शिप (एडीएस) से बदलकर स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर (आईएसी) कर दिया।

पीएम मोदी के हाथों कमिशनिंग
आईएनएस विक्रांत की कमिशनिंग भारत की समद्री सीमाओं की सुरक्षा को बल प्रदान कर रहा है। इसकी कमिशनिंग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों होना एक शुभ संकेत है राष्ट्रीय हितों को लेकर।

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