अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा अपने ‘मेगा मून रॉकेट’ आर्टेमिस-1 का प्रक्षेपण कर उसे चंद्रमा तक भेजने की एक और कोशिश शनिवार को करेगी। इसके लिए नासा ने फ्लोरिडा स्थित कैनेडी स्पेस सेंटर में तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया है।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का ‘मेगा मून रॉकेट’ आर्टेमिस-1 बीते सोमवार को प्रक्षेपण के लिए पूरी तरह तैयार कर लिया गया था। प्रक्षेपण स्थल पर आकाशीय बिजली गिरने के बावजूद नासा के वैज्ञानिक इस रॉकेट को भेजने की तैयारी में जुटे थे। 98 मीटर का यह प्रक्षेपण यान नासा का अब तक का सबसे शक्तिशाली रॉकेट है। यह नासा के ‘अपोलो’ अभियान के करीब आधी सदी बाद चंद्रमा की कक्षा में एक खाली ‘क्रू कैप्सूल’ भेजने की तैयारी में था। नासा के इस राकेट की लांचिंग फ्लोरिडा में कैनेडी स्पेस सेंटर के लांच पैड 39बी से सुबह 8:33 बजे (भारतीय समयानुसार शाम छह बजे) की जानी थी। इस बाबत तैयारी चल ही रही थी, तभी वैज्ञानिकों को ईंधन का रिसाव व रॉकेट में दरार दिखाई दी। रॉकेट में ईंधन के तौर पर सुपर-कोल्ड हाइड्रोजन और ऑक्सीजन भरा जाता है लेकिन लीक की वजह से ये काम रोक दिया गया। बीते पांच दिनों में नासा ने एक बार फिर आर्टेमिस-1 को चंद्रमा तक भेजने की तैयारी कर ली है।
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फ्लोरिडा स्थित कैनेडी स्पेस सेंटर में नासा की टीम ने शनिवार को ‘मेगा मून रॉकेट’ के सफल प्रक्षेपण की दूसरी कोशिश करने की पूरी तैयारी कर ली है। 32 मंजिला स्पेस लॉन्च सिस्टम (एसएलएस) रॉकेट और उसका ओरियन कैप्सूल भारतीय समयानुसार रात 11.47 बजे फ्लोरिडा के केप कैनावेरल स्थित कैनेडी स्पेस सेंटर से उड़ान भरेगा। छह सप्ताह की यह परीक्षण उड़ान सफल रही तो अंतरिक्ष यात्री कुछ वर्षों में चांद की यात्रा फिर शुरू कर सकते हैं। आर्टेमिस-1 के जरिए नासा का लक्ष्य चंद्रमा पर इंसानों को उतारना है। इससे पहले भी कई बार कोशिश हो चुकी है। अपोलो अभियान के तहत चंद्रमा पर 12 अंतरिक्ष यात्री उतरे थे।
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