झारखंड विधानसभा में हंगामे के बीच 48 मतों से हेमंत सोरेन ने जीता विश्वास मत

विश्वास मत पर वोटिंग के बाद विधानसभा अध्यक्ष रवीन्द्रनाथ महतो ने विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी।

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झारखंड की रिजॉर्ट पॉलिटिक्स का पटाक्षेप हो गया। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 5 सितंबर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया, जिसमें हेमंत सरकार ने विश्वास प्रस्ताव सदन के पटल पर रखा और विश्वास मत हासिल कर लिया है। 81 सदस्य वाली विधानसभा में सरकार के पक्ष में 48 वोट पड़े। प्रस्ताव के विरोध में किसी ने भी मत नहीं दिया। इस दौरान भाजपा ने वॉकआउट किया। विश्वास मत पर वोटिंग के बाद विधानसभा अध्यक्ष रवीन्द्रनाथ महतो ने विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी।

इसके पहले सदन की कार्यवाही शुरू होते ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जैसे ही विश्वास मत के प्रस्ताव पर बोलना शुरू किया तभी भाजपा विधायकों ने हंगामा शुरू कर दिया। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विपक्ष द्वारा उठाए जा रहे सवालों का जवाब दिया। विश्वास मत के प्रस्ताव पर हेमंत सोरेन ने सदन में कहा कि विश्वास प्रस्ताव लाने की वजह भाजपा है, जिस राज्य में भाजपा की सरकार नहीं होती है, वहां भाजपा की तरफ से गृह युद्ध जैसा माहौल बना दिया जाता है, इसलिए यूपीए को विश्वास प्रस्ताव लाना पड़ा है।

हेमंत सोरेन ने कहा कि विपक्ष से निवेदन है कि बहस के दौरान नोक-झोंक होते रहती है। आग्रह यह है कि 5 सितंबर का प्रस्ताव सुने और मैदान छोड़कर भागने का प्रयास ना करें। राज्य की सवा तीन करोड़ जनता में आप भी शामिल हैं। जब भी मैं सवा तीन करोड़ जनता की बात करता हूं तो आप भी उसमें शामिल होते हैं।

उन्होंने कहा कि आज विश्वास मत को लेकर चर्चा हो रही है। लोग कह रहे हैं कि अगर सरकार के पास बहुमत है तो विश्वास मत की क्या जरूरत है। जरूरत इसलिए कि हमारी यूपीए की सरकार ने 2019 से लेकर आजतक कोरोना का मुंहतोड़ जवाब दिया। झारखंड को जिस तरीके से सरकार ने संभाला है, वो सौभाग्य की बात है। अगर यूपीए की सरकार ना होती तो पता नहीं गरीब, दलित आदिवासियों का क्या होता है।

मुख्यमंत्री सोरेन ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि सडकों पर भी झंडा लगाने का काम हुआ। भाजपा ने तो झंडा बेचने का भी काम किया। लोकतंत्र को बेचने का लगातार 2014 से प्रयास हो रहा है।

हेमंत सोरेन जब सदन में सरकार की तरफ से जवाब दे रहे थे, तो लगातार विपक्ष वेल में आकर हंगामा कर रहा था। हंगामे के बीच ही सदन में हेमंत सोरेन अपनी बात रख रहे थे।

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25 अगस्त से प्रदेश सरकार के खिलाफ रची जा रही है साजिश
हेमंत ने कहा कि 25 अगस्त से प्रदेश सरकार के खिलाफ साजिश रची जा रही है। कहा जा रहा है कि निर्वाचन आयोग की तरफ से सदस्यता रद्द कर दी गयी है, लेकिन आज तक लिफाफा नहीं खुला। उन्होंने कहा कि भाजपा चाहती है कि डराकर विधायकों को खरीद लिया जाए, इसलिए आज भाजपा देख ले कि सदन के अंदर हम कितने मजबूत हैं।

1932 खतियान और ओबीसी आरक्षण पर जल्द निर्णय लेगी सरकार
मुख्यमंत्री सोरेन ने कहा कि उनकी सरकार 1932 के खतियान पर आधारित स्थानीय नीति और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के आरक्षण पर बहुत जल्द प्रस्ताव लाने जा रही है। उन्होंने कहा कि 1932 का खतियान जरूरी है। आदिवासियों की जमीन की रक्षा के लिए सीएनटी-एसपीटी एक्ट जरूरी है। ओबीसी आरक्षण जरूरी है। उन्होंने भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी से पूछा कि वे इस बात का जवाब दें कि ओबीसी आरक्षण को किसने घटाया। उन्होंने कहा कि जल्द ही उनकी सरकार 1932 का खतियान और ओबीसी आरक्षण संबंधी प्रस्ताव लायेगी।

अपनी सदस्यता पर जारी संशय के बीच मुख्यमंत्री ने राज्यपाल की भूमिका पर भी सवाल उठाये। साथ ही समरीलाल की सदस्यता के मुद्दे पर भाजपा से सवाल भी पूछे। उन्होंने कहा कि भाजपा का फर्जी विधायक यहां बैठा है। बिकाऊ विधायक यहां बैठे हुए हैं।

भाजपा ने सिर्फ व्यापारियों की मदद की
मुख्यमंत्री ने आरोप लगाते हुए कहा कि सबका साथ सबका विकास का नारा देने वाले इन लोगों ने सिर्फ व्यापारियों की मदद की। पेंशन देने का इनके पास पैसा नहीं है। इन लोगों ने पूरे देश को ताक पर रखने का काम किया है। गरीबों के लिए इनके पास पैसा नहीं है। इनके कारनामों को लिखना शुरू किया जाए तो लिखते-लिखते स्याही खत्म हो जाएगी। सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार का काम तमाम मीडिया और सोशल मीडिया के जरिए किया जा रहा है। हिंदू-मुस्लिम का नारा देकर जनता को सड़क पर लाकर खड़ा कर दिया है।

हेमंत सोरेन ने आगे कहा कि गिरगिट भी इतना रंग नहीं बदलता, जितना भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी रंग बदलते हैं। मुख्यमंत्री ने आजसू नेता सुदेश महतो को भी आड़े हाथ लिया। उन्होंने कहा कि आदिवासी-मूलवासी के सबसे बड़े नेता सुदेश महतो का हमेशा प्रयास रहा है कि उनके दोनों हाथों में लड्डू रहे। ऐसे ही लोगों की वजह से इस राज्य की जनता को हर बार छला गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि दुमका में अंकिता सिंह के यहां दुख व्यक्त करने के लिए तीन नेता निशिकांत दुबे, मनोज तिवारी और कपिल मिश्रा पहुंचे। स्थानीय नेता सुनील सोरेन को छोड़ दिया। जब हमने इस बात पर सवाल उठाया, तो बाबूलाल मरांडी ने दूसरी घटना में सुनील सोरेन को अपने पास बैठा लिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि इनका चेहरा इतना भयावह, इतना डरावना और इतना क्रूर है कि उसे पहचानना आसान नहीं है। लेकिन, सत्ता पक्ष इनकी क्रूरता और उनकी सोच को भली-भांति जनता है। उन्होंने कहा कि अगली बार आपलोग अपना जमानत भी नहीं बचा पायेंगे।

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