राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 5 सितंबर को राष्ट्रीय शिक्षक दिवस के अवसर पर विज्ञान भवन में आयोजित समारोह में देशभर के 45 शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने अपने शिक्षकों को याद किया। उन्होंने कहा कि गुरुजनों न केवल उन्हें पढ़ाया बल्कि उन्हें प्यार और प्रेरणा भी दी। अपने परिवार और शिक्षकों के मार्गदर्शन के बल पर वह कॉलेज जाने वाली अपने गांव की पहली बेटी बनीं। उन्होंने कहा कि अपने जीवन में उन्होंने जो कुछ भी हासिल किया है उसके लिए वह हमेशा अपने शिक्षकों की ऋणी रहेंगी।
राष्ट्रपति ने कहा कि विज्ञान, अनुसंधान और नवाचार आज की ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था में विकास का आधार हैं। स्कूली शिक्षा के माध्यम से इन क्षेत्रों में भारत की स्थिति को और मजबूत किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि उनके विचार से विज्ञान, साहित्य या सामाजिक विज्ञान में मौलिक प्रतिभा का विकास मातृभाषा के माध्यम से अधिक प्रभावी हो सकता है। यह हमारी माताएं हैं जो हमें हमारे प्रारंभिक जीवन में जीने की कला सिखाती हैं। इसलिए मातृभाषा प्राकृतिक प्रतिभा के विकास में सहायक होती है।
राष्ट्रपति ने कहा कि मां के बाद शिक्षक हमारे जीवन में शिक्षा को आगे बढ़ाते हैं। यदि शिक्षक भी अपनी मातृभाषा में पढ़ाएं, तो छात्र आसानी से अपनी प्रतिभा का विकास कर सकते हैं। इसीलिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में स्कूली शिक्षा और उच्च शिक्षा के लिए भारतीय भाषाओं के प्रयोग पर जोर दिया गया है।
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राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि शिक्षकों की यह जिम्मेदारी है कि वे अपने छात्रों में विज्ञान और अनुसंधान के प्रति रुचि पैदा करें। अच्छे शिक्षक प्रकृति में मौजूद जीवित उदाहरणों की मदद से जटिल सिद्धांतों को समझना आसान बना सकते हैं। उन्होंने शिक्षकों के बारे में एक प्रसिद्ध कहावत दोहरायी, ‘औसत दर्जे का शिक्षक बताता है, अच्छा शिक्षक समझाता है, श्रेष्ठ शिक्षक प्रदर्शित करता है और महान शिक्षक प्रेरित करते हैं।’
उन्होंने कहा कि आदर्श शिक्षक छात्रों के जीवन का निर्माण कर सही मायने में राष्ट्र का निर्माण करते हैं। राष्ट्रपति ने शिक्षकों से छात्रों से प्रश्न पूछने और संदेह व्यक्त करने की आदत को प्रोत्साहित करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि अधिक से अधिक प्रश्नों के उत्तर देने और शंकाओं का समाधान करने से उनका ज्ञान भी बढ़ेगा। एक अच्छा शिक्षक हमेशा कुछ नया सीखने के लिए उत्साहित रहता है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि भारत की स्कूली शिक्षा-व्यवस्था, विश्व की सबसे बड़ी शिक्षा प्रणालियों में शामिल है। 15 लाख से अधिक स्कूलों में, लगभग 97 लाख शिक्षकों द्वारा 26 करोड़ से अधिक विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान की जा रही है। शिक्षक ही हमारी शिक्षा-प्रणाली की प्राण-शक्ति हैं।
उन्होंने कहा, “मैं अपने जीवन के उस पक्ष को सबसे अधिक महत्व देती हूं जो शिक्षा से जुड़ा हुआ है। मुझे रायरंगपुर में श्री ऑरोबिंदो इंटीग्रल स्कूल में शिक्षक के रूप में योगदान देने का अवसर मिला था।”
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