सुप्रीम कोर्ट ने महिला आरक्षण कानून दोबारा संसद के दोनों सदनों में लाने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि ये महत्वपूर्ण मसला है।
नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमन की ओर से दायर याचिका पर वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि 25 साल पहले महिला आरक्षण विधेयक पेश किया गया था। याचिका में कहा गया है कि ये विधेयक 2010 में राज्यसभा में पारित कर दिया गया था। लेकिन, लोकसभा भंग होने की वजह से इसका समय समाप्त हो गया और इसे लोकसभा में पेश नहीं किया गया।
याचिका में कहा गया है कि महिला आरक्षण बिल को पेश नहीं करना मनमाना है और ये भेदभाव को बढ़ावा देने वाला है। इस बिल पर सभी राजनीतिक दलों की सहमति है। इसके बावजूद इसे संसद में पेश नहीं किया जा रहा है। ऐसे में इसे अनिश्चित काल तक लटकाये रखा जाना ठीक नहीं है।
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