कैसे पीएम मोदी अपने आइडिया ऑफ इंडिया को आकार दे रहे हैं?

प्रधानमंत्री मोदी अपने आइडिया ऑफ इंडिया को कैसे आकार दे रहे हैं।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार 7 अक्टूबर 2001 को गुजरात के मुख्यमंत्री का पद संभाला था। 7 अक्टूबर 2021 को उन्होंने भारतीय लोकतंत्र की चुनावी राजनीति में मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के पद पर काम करते हुए अपने 20 साल पूरे किए। इन दो दशकों की खास बात ये है कि इनमें आइडिया ऑफ मोदी यानि मोदी के विचार का विस्तार हुआ है। 130 करोड़ भारतीयों की सेवा को समर्पित इस महत्वपूर्ण यात्रा के 20 साल पूरे होने के अवसर पर यह भी समझना चाहिए कि मोदी मैजिक क्या है और यह कैसे काम करता है। यह समझना भी महत्वपूर्ण है कि प्रधानमंत्री मोदी अपने आइडिया ऑफ इंडिया को कैसे आकार दे रहे हैं। इन्हीं सवालों का जवाब नई किताब मोदी @20 ड्रीम्स मीट डिलीवरी दे रही है। जिसका विमोचन खुद गृहमंत्री अमित शाह ने दिल्ली में किया था।

पुस्तक में पीएम मोदी पर नामी गिरामी हस्तियों की राय कुल 21 अध्याय का एक संकलन है। जिसे देश की प्रतिष्ठित और अपने.अपने क्षेत्र में सफलता के झंडे गाड़ रही हस्तियों ने लिखा है। इस पुस्तक की प्रस्तावना स्वर कोकिला स्वर्गीय लता मंगेशकर ने लिखी है। जिन्हें भारत के हर प्रधानमंत्री के साथ संवाद करने और उनके साथ निकटता से बातचीत करने का गौरव प्राप्त था। इसलिए इस पुस्तक में पीएम मोदी को लेकर लताजी के विचार अद्वितीय ही माने जा सकते हैं। इस पुस्तक के पहले अध्याय मोदी निर्विवादित यूथ आइकॉन क्यों हैं में भारतीय बैडमिंटन की गौरव और विश्व विजेता.पीवी सिंधु ने अपने व्यक्तिगत अनुभवों के माध्यम से मोदी मैजिक की व्याख्या की है। सिंधु ने लिखा है कि कैसे प्रधानमंत्री ने कैसे होगा से होगा कैसे नहीं की की सोच को बदला है। उन्होंने कभी किसी समस्या को एक समस्या के रूप में नहीं देखा। बल्कि देश में छिपी क्षमता को सर्वश्रेष्ठ परिणामों के लिए अनुकूलित करने के अवसर के रूप में देखा है।

आने वाले कल के भारत का निर्माण
जाने माने लेखक अमीश त्रिपाठी अपने अध्याय. मोदी भगीरथ प्रयासी में लिखते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी अतीत के भारत में मजबूती से निहित आने वाले कल के भारत का निर्माण कर रहे हैं। जो अपनी सभ्यतागत विरासत से सीख लेते हुए भारत के प्रभुत्व को एक राष्ट्र.राज्य के रूप में नहीं बल्कि एक सभ्यतागत राष्ट्र के रूप में सामने रख रहे हैं। अपने सभी संबोधनों में प्रधानमंत्री का स्पष्ट संदेश है। हमें याद रखना चाहिए कि हम कौन हैं। नई किताब मोदी @20 विश्लेषणात्मक व अकादमिक दोनों शैलियों का संग्रह है। विभिन्न क्षेत्रों के योगदानकर्ताओं द्वारा साझा किए गए व्यक्तिगत आलेखों से युक्त है।

पार्टी का घोषणापत्र उनके लिए मां के वचन जैसा
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में ऐसा पहली बार हुआ कि किसी पार्टी के घोषणापत्र को लोगों ने चुनाव के बाद आश्चर्य के साथ देखा। क्योंकि मोदी के नेतृत्व में बीजेपी अपने किए गए सभी वादों को पूरा कर रही थी। प्रधानमंत्री मोदी केवल सपने नहीं दिखा रहे थे। बल्कि वे इसका वादा कर रहे थे कि वे क्या कर सकते हैं और उन्होंने इसे कर दिखाया। प्रधानमंत्री मोदी अपने किए गए वादों को पूरा करने पर इतना अधिक ध्यान क्यों देते हैं। इसका उत्तर गृह मंत्री अमित शाह के लिखे गए अध्याय लोकतंत्र वितरण और आशा की राजनीति में निहित है। गृहमंत्री शाह लिखते हैं उनका ;प्रधानमंत्री मोदी, पार्टी से एक भावनात्मक लगाव है। जो दुर्लभ और मार्मिक है। वे पार्टी को एक मां के रूप में देखते है। पार्टी का घोषणापत्र उनके लिए उनकी मां का वचन है।

राष्ट्र निर्माण में हर देशवासी की भागीदारी
पुस्तक का शीर्षक सही तरीके से एक वंचित सामाजिक व आर्थिक पृष्ठभूमि से आए प्रधानमंत्री मोदी की घटनापूर्ण यात्रा को परिभाषित करता है। जिसमें कोई वंशवादी विशेषाधिकार नहीं है और भारत के उच्च पद के लिए अभिजात वर्ग की मंडली से कोई संबंध नहीं है। प्रधानमंत्री कार्यालय में उनका काम सामाजिक कल्याण योजनाओं को 100 फीसदी गरीब लोगों तक पहुंचाने, महत्वाकांक्षी युवाओं के लिए रोजगार से लेकर शिक्षा के लिए नए अवसर उत्पन्न करने सामाजिक समानता, सबका साथ.सबका विकास.सबका विश्वास, सुनिश्चित करना है। ये प्रधानमंत्री मोदी ही हैं, जिन्होंने भारत में कर सकते हैं कि सोच का संचार किया है और सबका प्रयास ;जनभागीदारी की अत्यधिक जरूरत का आह्वान करते हुए राष्ट्र निर्माण में लोगों की भागीदारी को प्रेरित किया है।

साल दर साल बढ़ती प्रधानमंत्री की लोकप्रियता
जनकल्याणकारी योजनाओं को 100 फीसदी जनता तक पहुंचाने का उनका वादा, अंत्योदय की बात करते हुए दीन दयाल उपाध्याय के देखे गए सपने की निरंतरता ही कही जा सकती है। मोदी@20 पुस्तक एक ऐसे व्यक्ति के भगीरथ प्रयास को विस्तार से सामने लाती है। जो लोगों के सपनों को पूरा करने के मामले में अपनी पूरी ताकत झोंक देता है। लेखकों के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी जिस स्तर पर और जिस समर्पण के साथ काम कर रहे हैं। वे सभी देशवासियों को उम्मीद से भर देता है कि काम होगा कैसे नहीं। पिछले 20 वर्षों में लोगों की नजरों में उनकी लोकप्रियता केवल बढ़ी है।

जब पश्चिमी देशों ने भारत को जलवायु संकट के लिए दोषी साबित करने के प्रयास किए तब प्रधानमंत्री ने विश्व को याद दिलाया कि भारतीय पृथ्वी सूक्त; अथर्ववेद के लेखक, विश्वासी और अभ्यासी हैं। जिसमें प्रकृति और पर्यावरण के बारे में अद्वितीय ज्ञान है। उन्होंने ग्लासगो में कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज; सीओपी में जलवायु संकट से लड़ने के लिए आपसी मतभेदों को दूर रखते हुए विश्व से एक साथ आने का आह्वान किया। अद्भुत निरंतरता के साथ वे वैश्विक नेतृत्व लोकप्रियता की सूची में शीर्ष पायदान पर रहे हैं और संभवत यह एक जन नेता के रूप में उनकी यात्रा का सबसे उल्लेखनीय पहलू रहा है।

प्रधानमंत्री मोदी के लिए जन सेवा ही सर्वोपरी
इतिहास हमें बताता है कि समय के साथ निर्वाचित नेता अपनी लोकप्रियता और आकर्षण को कम होते हुए देखते हैं। वे गलतियां करते हैं, वे थक जाते हैं, वे अपने जनादेश को हल्के में लेते हैं। वे खुद को ही सत्ता मानने लगते हैं, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ऐसा नहीं करते। उन्होंने तीन बार गुजरात के मुख्यमंत्री और दो बार भारत के प्रधानमंत्री के रूप में अपने पदों का उपयोग भारत की सेवा करने के अवसर के रूप में किया है।

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