भारत ने संयुक्त राष्ट्र में कहा-आतंकवाद से लड़ने के लिए कानूनी ढांचा विकसित करने की जरूरत

आतंकवाद के पीड़ितों की पहली संयुक्त राष्ट्रे ग्लोबल कांग्रेस को संबोधित करते हुए कंबोज ने कहा भारत तीन दशकों से अधिक समय से राज्य प्रायोजित सीमापार आतंकवाद का शिकार रहा है।

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संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने आतंकवाद से लड़ने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक कानूनी ढांचा विकसित करने की आवश्यकता पर जोर दिया है। कंबोज ने कहा- ‘भारत आतंकवाद पीड़ितों को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त राष्ट्र के प्रयासों का समर्थन करने में सबसे आगे रहा है।’

आतंकवाद के पीड़ितों की पहली संयुक्त राष्ट्रे ग्लोबल कांग्रेस को संबोधित करते हुए कंबोज ने कहा भारत तीन दशकों से अधिक समय से राज्य प्रायोजित सीमापार आतंकवाद का शिकार रहा है। आतंकवाद की वजह से मानवीय नुकसान और पीड़ितों और उनके परिवारों पर इसके स्थायी प्रभाव को गहराई से समझता है। हम आतंकवाद से पीड़ितों की देखभाल करने और उनकी गरिमा की रक्षा करने के लिए अपनी पूरी कोशिश करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं।

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आतंकवाद मानवता के लिए खतरा
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बार-बार इस बात पर जोर दिया है कि आतंकवाद मानवता के लिए खतरा है। हम हमेशा इससे सहमत हैं। वास्तव में, आतंकवाद उन मूल्यों ‘जीवन का अधिकार’ पर हमला है जो अंतरराष्ट्रीय समुदाय को परिभाषित करते हैं, और मानवीय अधिकारों को गंभीर रूप से प्रभावित करते हैं।

भारत के स्थाई प्रतिनिधि ने आतंकवाद पीड़ितों की पहली कांग्रेस के आयोजन के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय और आतंकवाद पीड़ितों के दोस्तों के समूह को बधाई दी।

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