कुतुब मीनार परिसर में मिलेगी पूजा की अनुमति? न्यायालय में होगी सुनवाई

एएसआई को निर्देश दिया था कि कुतुब मीनार परिसर में मौजूद कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद परिसर में रखी भगवान गणेश की मूर्तियों को परिसर से न हटाया जाए।

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साकेत कोर्ट (दिल्ली) के एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज दिनेश कुमार 13 सितंबर को कुतुब मीनार परिसर में पूजा की अनुमति देने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करेंगे। पिछली सुनवाई में आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) ने कुंवर महेंद्र ध्वज प्रसाद की अर्जी का विरोध करते हुए कहा था कि उनकी याचिका सुनने का कोई औचित्य नहीं है। एएसआई ने कहा था कि जमीन के मालिकाना हक को लेकर 1947 के बाद से किसी भी कोर्ट में अपील दायर नहीं की गई। एएसआई ने कहा था कि संरक्षित इमारत में कोई भी पूजा या इबादत करने के अधिकार का दावा नहीं कर सकता है।

इस तरह चली सुनवाई
इससे पहले 24 मई की सुनवाई में आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) ने साकेत कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया था। इसमें कहा गया था कि जब एएसआई ने स्मारक पर नियंत्रण लिया था, तब वहां पूजा नहीं होती थी। एएसआई ने कहा है कि कानूनन संरक्षित स्मारक में पूजा का कोई प्रावधान नहीं है। इसलिए याचिका खारिज की जाए।

साकेत कोर्ट ने 13 अप्रैल को एएसआई को निर्देश दिया था कि कुतुब मीनार परिसर में मौजूद कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद परिसर में रखी भगवान गणेश की मूर्तियों को परिसर से न हटाए। इस मामले में पहले से ही पूजा-अर्चना अधिकार को लेकर याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ता ने नई अर्जी में कहा था कि गणेश जी की मूर्तियों को नेशनल म्यूचुअल अथॉरिटी के दिये सुझाव के मुताबिक नेशनल म्यूजियम या किसी दूसरी जगह विस्थापित नहीं किया जाना चाहिए। उन्हें परिसर में ही पूरे सम्मान के साथ उचित स्थान पर रखा जाए।

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24 मई को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील हरिशंकर जैन ने कहा था कि पिछले आठ सौ वर्षों से इस परिसर का इस्तेमाल मुस्लिमों ने नहीं किया है। मस्जिद के काफी पहले यहां मंदिर था तो पूजा की अनुमति क्यों नहीं दी जा सकती है।

मंदिरों को तोड़कर ये मस्जिद बनाई
इस याचिका में कहा गया है कि हिंदुओं और जैनों के 27 मंदिरों को तोड़कर ये मस्जिद बनाई गई है। जैन तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव और भगवान विष्णु को इस मामले में याचिकाकर्ता बनाया गया था। उल्लेखनीय है कि 29 नवंबर, 2021 को सिविल जज नेहा शर्मा ने याचिका खारिज कर दी थी। इस आदेश को डिस्ट्रिक्ट जज की कोर्ट में चुनौती दी गई है।

याचिका में कहा गया है कि कुतुबद्दीन ऐबक ने 27 हिंदू और जैन मंदिरों की जगह कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद बना दिया। ऐबक मंदिरों को पूरे तरीके से नष्ट नहीं कर सका और मंदिरों के मलबे से ही मस्जिद का निर्माण किया गया। याचिका में कहा गया था कि कुतुब मीनार परिसर की दीवारों, खंभों और छतों पर हिन्दू औज जैन देवी-देवताओं के चित्र बने हुए हैं। इनसे साफ है कि कुतुब मीनार परिसर में हिंदू और जैन मंदिर थे। कुतुब मीनार ध्रुव स्तंभ था।

याचिका में मांग की गई थी कि इन 27 मंदिरों को पुनर्स्थापित करने का आदेश दिया जाए और कुतुब मीनार परिसर में हिंदू रीति-रिवाज से पूजा करने की इजाजत दी जाए।

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