महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के प्रमुख राज ठाकरे विदर्भ प्रवास पर हैं। इस बीच वे पत्रकारों से चर्चा भी कर रहे हैं। शिवसेना भारतीय जनता पार्टी युति के विषय में राज ठाकरे ने शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे के समय की बात साझा की है, जिसमें उन्होंने दोनों दलों के बीच मुख्यमंत्री पद किसका होगा इसका फॉर्मुला बताया। इसके साथ मुफ्त सुविधा की राजनीति पर उन्होंने कहा कि, जनता को बिजली, घर, पानी जैसी बुनियादी चीजें मुफ्त में नहीं दी जा सकतीं। उन्होंने कहा कि मुफ्त की रेवड़ियां बांटने वाले अपने स्वार्थ के लिए अर्थव्यवस्था को क्षति पहुंचाने का काम करते हैं।
… उस समय तक उद्धव ठाकरे चुप रहे
दो दिवसीय विदर्भ यात्रा के लिए नागपुर पहुंचे राज ठाकरे ने सोमवार को नागपुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। महाराष्ट्र की राजनीति पर टिप्पणी करते हुए राज ठाकरे ने कहा कि राजनीतिक दलों को मतदाताओं की राय का सम्मान करना चाहिए। सभी जानते हैं कि 2019 में महाराष्ट्र की जनता ने किसे वोट दिया। वहीं एक जनसभा में भी प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह ने कहा था कि देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री होंगे लेकिन उस समय उद्धव ठाकरे चुप रहे। जब चुनाव के नतीजे घोषित हुए तो उन्होंने ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद की मांग की। राज ठाकरे ने कहा कि जब बालासाहब के समय में शिवसेना-भाजपा गठबंधन का फैसला हुआ तो यह स्पष्ट किया गया था कि जिसकी ज्यादा सींटे होंगी उसी का मुख्यमंत्री बनेगा। उस समय की पहली गठबंधन सरकार में कम सीटों वाली भाजपा ने कभी मुख्यमंत्री पद की मांग नहीं की थी, लेकिन उद्धव ठाकरे ने अपने स्वार्थ के लिए गठबंधन की शर्तों को ताक पर रखा। राज ठाकरे ने जनता से अपील की कि जनमत का सम्मान न करने वाले दलों और नेताओं को सबक सिखाना चाहिए।
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मुफ्त की रेवड़ियों पर तंज
आम आदमी पार्टी की ओर से दिल्ली, पंजाब जैसे राज्यों में मुफ्त बिजली, पानी और अन्य सुविधाओं को लेकर सवाल पूछा गया था। इसके जवाब में राज ठाकरे ने कहा कि आजादी के बाद बीते 75 वर्षों में भारतीय समाज ने कभी कोई चीज मुफ्त में नहीं मांगी। ऐसी मांगों को लेकर देश में कभी कोई मोर्चा नहीं निकला। ठाकरे ने तंज कसते हुए कहा कि राजनेता और पार्टियां अपने स्वार्थ के लिए मुफ्त की चीजों का ऐलान करते हैं। बतौर ठाकरे ऐसी मुफ्त की रेवड़ियों से देश की अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ता है। ठाकरे ने कहा कि देश में कोई भी पार्टी यदि मुफ्त में कुछ देती है तो वह अर्थव्यवस्था को खराब करने का काम करती है।