बॉम्बे उच्च न्यायालय ने भारतीय जनता पार्टी नेता और केंद्रीय मंत्री नारायण राणे को बड़ा झटका दिया है। न्यायालय ने राणे की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें जुहू स्थित उनके बंगले अधीश के अवैध निर्माण को नियमित नहीं करने की मांग की गई थी। बॉम्बे हाईकोर्ट ने राणे परिवार की कालका रियल एस्टेट कंपनी पर अवैध निर्माण को नियमित करने के लिए याचिका दायर करने पर 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। हाईकोर्ट ने मुंबई महानगरपालिका को दो सप्ताह के भीतर अतिरिक्त अवैध निर्माण को ध्वस्त करने और एक सप्ताह के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।
बता दें कि बीएमसी ने नोटिस जारी कर विकास नियंत्रण नियमों का उल्लंघन करते हुए राणे परिवार के बंगले अधीश को गिराने का आदेश जारी किया था। राणे परिवार के स्वामित्व वाली कालका रियल एस्टेट कंपनी ने उस निर्माण को नियमित करने के लिए दूसरी बार बीएमसी में आवेदन किया। पीठ ने 23 अगस्त को मामले की सुनवाई के बादल इस पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।
क्या है अधीश बंगला विवाद?
जुहू स्थित अधीश बंगले में अनाधिकृत निर्माण का हवाला देते हुए धारा 351(1) का नोटिस जारी किया गया था। बीएमसी के अधिकारियों ने उन्हें यह साबित करने के लिए कहा था कि बंगले में किए गए बदलाव स्वीकृत योजना के अनुसार थे। इसके मुताबिक राणे ने सारे दस्तावेज महानगरपालिका को सौंपे थे, लेकिन मनपा ने संतुष्ट न होने पर एक और नोटिस भेजा था। 21 फरवरी को बीएमसी के वेस्ट डिवीजन ने बंगले का दौरा किया था और उसका निरीक्षण किया था। नोटिस में उल्लेख किया गया है कि सभी मंजिलों पर निर्माण में बदलाव किया गया है और ज्यादातर जगहों पर बगीचों के स्थान पर कमरों का निर्माण किया गया है।
क्या है आरोप?
-सीआरजेड मंजूरी के तहत चार मंजिला इमारत बनाने की अनुमति, लेकिन वास्तव में आठ मंजिला निर्माण किया गया
-अनुमति से अधिक एफएसआई का उपयोग किया गया
-पुराने स्वीकृत लेआउट के उल्लंघन के लिए नए लेआउट के निर्माण की आवश्यकता थी, लेकिन ऐसा कोई नया लेआउट नहीं बनाया गया