ममता बनर्जी के गठबंधन के ऑफर पर कांग्रेस ने क्या कहा… जानिए

ममता बनर्जी भी पार्टी को बहुमत दिलाने और मुख्यमंत्री की कुर्सी पर फिर से आसीन होने की जी-जान से कोशिश कर रही हैं। इसी रणनीति के तहत उन्होंने तमाम विपक्षी दलों को एक साथ आकर बीजेपी को शिकस्त देने की अपील की है।

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पश्चिम बंगाल में चंद महीने बाद ही विधानसभा के चुनाव होने हैं। भारतीय जनता पार्टी इस चुनाव की तैयारी में काफी पहले से ही जुटी है। इस चुनाव में वह किसी भी हालत में सत्ताधारी ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस पार्टी को मात देना चाहती है। इसी रणनीति के तहत उसने टीएमसी के कई मंत्रियों और नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल कर इस दिशा में एक महत्वपूर्ण सफलता पाई है। दूसरी तरफ ममता बनर्जी भी पार्टी को बहुमत दिलाने और मुख्यमंत्री की कुर्सी पर फिर से आसीन होने की जी-जान से कोशिश कर रही हैं। इसी रणनीति के तहत उन्होंने तमाम विपक्षी दलों को एक साथ आकर बीजेपी को शिकस्त देने की अपील की है, लेकिन उन्हें इसमें सफलता मिलती नहीं दिख रही है।

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बिहार पैटर्न अपनाना चाहती हैं ममता
ममता बनर्जी ने बिहार पैटर्न को पश्चिम बंगाल में भी लागू करने की रणनीति बनाई है। इसके तहत उन्होंने बीजेपी को रोकने की योजना बनाई है। उन्होंने इसके लिए कांग्रेस समेत अन्य सभी पार्टियों को एक साथ आने का अनुरोध किया है, लेकिन इस योजना में उन्हें कामयाबी मिलती नहीं दिख रही है। उनके इस अनुरोध पर कांग्रेस पार्टी ने अलग ही सलाह देकर ममता बनर्जी की बोलती बंद कर दी है। पार्टी ने कहा है कि गठबंधन बनाने से बेहतर वह अपनी पार्टी को कांग्रेस में विलय कर दें।

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कांग्रेस ने दी ममता को सलाह
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने वेस्ट बंगाल में बीजेपी की मजबूती के लिए तृणमूल कांग्रेस पार्टी को ही जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि हमें टीएमसी से गठबंधन करने में कोई रुचि नहीं है। पिछले 10 सालों से हमारे विधायकों को खरीदनेवाली टीएमसी को अब गठबंधन की याद आ रही है। अगर वास्तव में वह बीजेपी के खिलाफ लड़ना चाहती है तो उसे कांग्रेस में शामिल हो जाना चाहिए। क्योंकि यही सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई का एकमात्र देशव्यापी मंच है। बता दें कि ममता बनर्जी ने 1998 में कांग्रेस से अलग होकर तृणमूल कांग्रेस पार्टी की स्थापना की थी।

वाम मोर्चा ने भी नहीं दिखाई दिलचस्पी
मार्क्सवादी कांग्रेस पार्टी नेता सुजान चक्रवर्ती ने इस पर हैरानी व्यक्त करते हुए कहा, ‘ममता बनर्जी ने प्रदेश की राजनीति में कांग्रेस और वाम मोर्चा को नगण्य करार दिया था। लेकिन अब वह गठबंधन करना क्यों चाहती हैं ? उन्होंने दावा किया कि बीजेपी भी वाम मोर्चा को रिझाने की कोशिश कर रही है। यह इस बात का सबूत है कि वाम मोर्चा अभी भी महत्वपूर्ण है। वाम मोर्चा और कांग्रेस मिलकर दोनों को हराएंगे।’

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बीजेपी ने ममता को घेरा
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और लोकसभा सदस्य दिलीप घोष ने कहा कि यह टीएमसी की हताशा का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी हमसे अकेली नहीं लड़ सकतीं। इसलिए अन्य दलों से मदद मांग रही हैं। इससे साबित होता है कि बीजेपी ही टीएमसी का एकमात्र विककल्प है।

लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मिली थी 18 सीटें
बता दें कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और वाम मोर्चा दोनों पार्टियों ने मिलकर चुनाव मैदान में उतरने का ऐलान किया है। माकपा नीत वाम मोर्चा को लोकसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं मिली थी। जबकि कांग्रेस को मात्र दो सीटों पर जीत हासिल हुई थी, वहीं बीजेपी को 18 सीटों पर जीत हुई थी। टीएमसी को 22 सीटों पर जीत हासिल हुई थी।

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