हैदराबाद के निजाम की सर्पाकार तलवार सहित गुलामी के दौर में भारत से इंग्लैंड पहुंचीं सात यादगार वस्तुएं जल्द ही भारत वापस लाई जाएंगी। इंग्लैंड में भारतीय उच्चायुक्त ने स्कॉटलैंड के ग्लासगो संग्रहालय से इस बाबत समझौता किया है। चर्चित तलवार 117 साल पहले एक ब्रिटिश जनरल को बेची गयी थी।
हाल ही में इंग्लैंड के भारतीय उच्चायोग ने स्कॉटलैंड के ग्लासगो स्थित संग्रहालय ‘ग्लासगो लाइफ’ से एक समझौता किया है, जिसके अंतर्गत संग्रहालय में रखी हैदराबाद के निजाम की तलवार सहित सात वस्तुएं भारत को वापस की जाएंगी। आजादी के बाद भारत की अमूल्य विरासत वापस लाने की पहल के तहत यह समझौता किया गया है। ग्लासगो लाइफ के संचार अधिकारी जोनाथन रेली के मुताबिक तलवार को 1905 में जनरल सर आर्चीबाल्ड हंटर ने महाराजा किशन प्रसाद बहादुर से खरीदा था। वे 1903 से 1907 तक बॉम्बे कमांड के कमांडर इन चीफ थे और महाराजा किशन प्रसाद बहादुर उस समय हैदराबाद के प्रधानमंत्री थे। सर हंटर के भतीजे आर्चीबाल्ड हंटर सर्विस ने उक्त तलवार को 1978 में ग्लासगो संग्रहालय को दान कर दिया था।
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सांप के आकार की है तलवार
संग्रहालय के दस्तावेजों के मुताबिक 1896 से 1911 के बीच हैदराबाद के निजाम रहे महबूब अली खान ने 1903 में दिल्ली के शाही दरबार में उक्त तलवार को प्रदर्शित की गई थी। शाही दरबार में राजा एडवर्ड सप्तम और रानी एलेक्जेंड्रा के राज्याभिषेक के उपलक्ष्य में आयोजित स्वागत समारोह में उक्त तलवार का प्रदर्शन हुआ था। निजाम की यह खास तलवार सांप के आकार की है। तलवार के बीच में हाथी और बाघ की सोने की सुंदर नक्काशी उकेरी गई है।