केन्द्रीय मंत्री अश्वनी वैष्णव ने 23 सितंबर को कहा कि नया टेलीकॉम विधेयक वर्तमान में विमर्श के प्रक्रिया से गुजर रहा है और उन्हें उम्मीद है कि यह 6 से 10 महीने में संसद में लाया जाएगा जहां से इसे पारित कर कानून का रूप दिया जाएगा।
अश्वनी वैष्णव ने यहां राष्ट्रीय मीडिया केन्द्र में 23 सितंबर को ड्राफ्ट टेलीकॉम विधेयक पर पत्रकार वार्ता को संबोधित किया। कल इस विधेयक को विमर्श एवं सुझाव के लिए सार्वजनिक किया गया था। विधेयक के विभिन्न पहलुओं पर स्पष्टीकरण देते हुए उन्होंने कहा कि विधेयक को पारित करने को लेकर कोई जल्दबाजी नहीं है। विस्तृत विचार-विमर्श के बाद इसे संसदीय समिति और बाद में संसद में लाया जाएगा।
वैष्णव ने कहा कि विभिन्न संदर्भो में टेलीकॉम विधेयक को अलग से नहीं देखा जाना चाहिए। टेलीकॉम, साइबर और डाटा सुक्षा के क्षेत्र में एक संपूर्ण वातावरण तैयार किया जा रहा है। इन सबको संपूर्णता में देखना चाहिए। उन्होंने कहा कि विधेयक का मूल उद्देश्य उपभोक्ताओं के हितों को पहले सुरक्षित करना है। नए दूरसंचार विधेयक के बाद व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम और डिजिटल इंडिया अधिनियम अगले कदम है। उन्हें पूरा विश्वास है कि इस विधेयक के लागू होने से साइबर धोखाधड़ी के मामलों में कमी आएगी।
उन्होंने कहा कि अगले दो वर्षों में सरकार संपूर्ण डिजिटल नियामक ढांचे को पूरी तरह से नया रूप देने में सक्षम होगी। इसका उद्देश्य सामाजिक उद्देश्यों, कर्तव्यों और व्यक्तियों के अधिकारों, प्रौद्योगिकी अज्ञेय ढांचे को संतुलित करना है।
संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि दूरसंचार विधेयक उद्योग के पुनर्गठन और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए एक रोडमैप प्रदान करेगा। उद्योग जगत एक कानूनी ढांचा बनाने की इच्छा रखता है जो वैश्विक बेंचमार्क के साथ बना रहे।
उन्होंने बताया कि नए दूरसंचार विधेयक में बड़ी और नियमित गलतियों के बीच स्पष्ट अंतर पैदा करने वाले अपराधों के प्रावधान को अपडेट किया गया है। कंपाउंडिंग अपराधों के प्रावधान शामिल किए गए हैं। इनका मकसद कंपनियों को आसानी से काम करने के लिए वातावरण तैयार करना है।
मंत्री ने कहा कि दूरसंचार के मसौदे में नवाचार और अनुसंधान एवं विकास और स्टार्टअप को सशक्त बनाने के लिए एक नियामक सैंडबॉक्स शामिल किया जाएगा। नए दूरसंचार विधेयक से शहरी क्षेत्रों में कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए यूएसओएफ फंड के दायरे का विस्तार होगा। इससे नई तकनीक और मानकों के अनुसंधान एवं विकास को मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि दूरसंचार में दिवाला और दिवालियापन संबंधी है विलय और अधिग्रहण के लिए किसी अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी। केवल एक सूचना ही काफी है। यह वैश्विक प्रथाओं पर आधारित है।
उन्होंने कहा कि हमें राजमार्गों, रेलवे लाइनों, गैस पाइपलाइनों या पानी की पाइपलाइनों के साथ आम केबल डक्ट बनाने की जरूरत है। नए दूरसंचार विधेयक में इस दृष्टिकोण को कानूनी समर्थन दिया है।
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