रेलवे स्टेशनों को चमकाने के तमाम दावे रेलवे अधिकारी करते रहते है,लेकिन पालघर जिले के रेलवे स्टेशनों पर आज भी मूलभूत सुविधाओं का टोटा कुछ और ही जमीनी हकीकत बयां कर रही है। जिससे यात्रियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। रेलवे स्टेशन के प्लेटफाॅर्म पर कोच गाइडेंस सिस्टम नहीं लगे रहने से रेल यात्रियों की परेशानी बढ़ती ही जा रही है। खासकर लंबी दूरी की ट्रेनों में आरक्षित बोगी खोजने में रेल यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
बता दें कि पालघर, बोईसर, दहानू रेलवे स्टेशन से प्रतिदिन सैकड़ो रेल यात्री लंबी दूरी की गाड़ियों में सफर करते हैं। यात्रा के दौरान प्लेटफाॅर्म पर कोच गाइडेंस सिस्टम नहीं रहने से ट्रेन के आगमन पर यात्रियों की फजीहत होती है।
खासकर बांद्रा से मुजफ्फरपुर जाने वाली अवध एक्सप्रेस, बांद्रा-लखनऊ सुपरफास्ट, पक्षिम एक्सप्रेस, देहरादून एक्सप्रेस,गुजरात एक्सप्रेस,सौराष्ट्र एक्सप्रेस,कोचुवेली एक्सप्रेस,कटरा जाने वाली गाड़ी में अपना आरक्षित कोच खाेजने के लिए रेल यात्री भटकते रहते हैं और तब तक कई बार ट्रेन भी छूट जाती है। कई बार कोच खोजने के चक्कर में यात्री किसी दूसरी बोगी में भी चढ़ जाते हैं और आगे जाकर उन्हें फिर अपनी बोगी में वापस जाना पड़ता है।
पालघर, बोईसर रेलवे स्टेशनों पर लंबी दूरी की ट्रेनें चालू होने के बाद से ही रेलयात्री कोच गाइडेंस सिस्टम लगाने की मांग करते आ रहे हैं। लेकिन रेलवे इस ओर उदासीन बना हुआ है और कोई पहल नहीं कर रहा है। इस बाबत पूछे जाने पर रेलवे अधिकारियों का एक ही जबाब होता है कि उच्च अधिकारियों को प्रस्ताव भेज दिया गया है।
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नहीं टूट रही रेलवे की कुंभकर्णी नींद
इन रेलवे स्टेशनों पर ज्यादातर ट्रेनों को दो मिनट का ही ठहराप दिया गया। इतने कम समय में लोगों को अपने सामान के साथ ट्रेन में चढ़ने में तो परेशान होती ही है, साथ ही कोच गाइडेंस सिस्टम नहीं लगे रहने के कारण यात्रियों को यह भी पता नहीं रहता कि उनकी कोच प्लेटफाॅर्म पर कहां आने वाली है जिसके चलते प्लेटफाॅर्म पर अफरातफरी का माहौल बन जाता है। कभी कभी लोगों की बाल-बाल जान भी जाते जाते बचती है। लेकिन रेलवे के उच्चाधिकारियों की कुंभकर्णी नींद टूटती नही देख रही है।