रूस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के स्थायी सदस्य के लिए भारत का प्रबल समर्थन किया है। रशियन विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने संयुक्त राष्ट्र में इस संदर्भ में भारत की स्थायी सदस्यता की सिफारिश की है। 77वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा के संबोधन में लावरोव ने कहा कि हम अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका के देशों के प्रतिनिधित्व के माध्यम से सुरक्षा परिषद को अधिक लोकतांत्रिक बनाने की संभावना को देखते हैं। विशेष रूप से भारत और ब्राजील प्रमुख अंतरराष्ट्रीय देश हैं। इन दोनों देशों की स्थायी सदस्यता के लिए विचार किया जाना चाहिए।
इस दौरान लावरोव ने पश्चिमी देशों पर आरोप लगाया कि वे अपने महासंघ का हिस्सा बनने पर यूक्रेन के रूसी नियंत्रण वाले इलाकों में जनमत संग्रह कराने को लेकर जोर दे रहे हैं। युद्ध से आसपास संकट बढ़ रहा है। अंतरराष्ट्रीय स्थिति तेजी से बिगड़ रही है, लेकिन एक ईमानदार वार्ता और समझौते की तलाश के बजाय पश्चिमी देश अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में विश्वास कम कर रहे हैं और संयुक्त राष्ट्र के भीतर नकारात्मक प्रवृत्तियों को प्रोत्साहित कर रहे हैं।
अमेरिका पर साधा निशाना
लावरोव ने कहा कि अमेरिका पूरी दुनिया को बदलने की कोशिश कर रहा है और अपने साझेदारों के साथ मिलकर विश्व के विचारों से असहमति जताने वालों को प्रतिबंधित कर रहा है। उनके अवैध और एकतरफा प्रतिबंध संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन कर रहे हैं। यह प्रतिबंध गरीब देशों के नागरिकों को मिलने वाली दवा, टीकों और खाद्य आयात को लक्षित करके नुकसान पहुंचाते हैं।
भारत ने कही थी ये बात
उल्लेखनीय है कि इससे पहले सुधारों पर एक संयुक्त बयान में 31 अन्य देशों के साथ भारत ने कहा था कि स्थायी और गैरस्थायी दोनों श्रेणियों में सुरक्षा परिषद का विस्तार करना चाहिए। संयुक्त बयान के हस्ताक्षरकर्ताओं ने कहा था कि वे इस बात की पुष्टि करते हैं कि संयुक्त राष्ट्र को समकालीन विश्व वास्तविकताओं के अनुरूप बनाने के लिए आवश्यक रूप से सुरक्षा परिषद के तत्काल और व्यापक सुधार की आवश्यकता है।