फिर 89 को जमानत… कब मिलेगा पालघर के साधुओं को न्याय?

ठाणे की एक अदालत ने पालघर मॉब लिंचिंग मामले में गिरफ्तार 89 लोगों को जमानत दे दी। 15,000 रुपये के निजी मुचलके पर इन लोगों को इस आधार पर जमानत दे दी गई कि ये घटना के समय मौके पर मौजूद तो थे लेकिन हिंसा में शामिल नहीं थे। पालघर में 16 अप्रैल 2020 को दो साधुओ समेत तीन लोगों की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी।

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पालघर साधु हत्याकांड में महाराष्ट्र के ठाणे की एक अदालत ने इस मामले में गिरफ्तार 89 लोगों को जमानत दे दी है। उन्हें 15-15 हजार के निजी मुचलके पर जमानत दे दी गई है। अदालत ने उन्हें इस आधार पर जमानत दे दी कि ये सिर्फ घटनास्थल पर मौजूद थे। ये हिंसा में शामिल नहीं थे। इन्हें जमानत मिलने के बाद एक बार फिर यह सवाल उठाया जा रहा है कि आखिर निर्दोष साधुओं को कब न्याय मिलेगा ?

बता दें कि पालघर के गढ़चिंचली में भीड़ ने 16 अप्रैल 2020 को जून अखाड़ा के दो साधुओं और उनके एक चालक को पीट-पीटकर मार डाला था। उस भीड़ में करीब एक हजार लोग शामिल थे। बताया जाता है, लोगों ने बच्चा चोर समझकर  उनकी हत्या कर दी थी। उन साधुओं की पहचान मुंबई के कांदिवली के 70 साल के कल्पवृक्ष गिरी, सुशील गिरी( 35) और ड्राइवर नीलेश तेलगाड़े( 30) के रुप में हुई थी। ये तीनों एक गाड़ी में सवार होकर सूरत में किसी की अंत्येष्टि में शामिल होने जा रहे थे।

तीन पुलिस अधिकारियों को किया गया था बर्खास्त
इस मामले में तीन पुलिस अधिकारियों को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। इससे पहले इन अधिकारियों को निलंबित किया गया था। कोंकण रेंज के आइजी द्वारा पालघर मामले में सहायक पुलिस निरीक्षक (एएसआई) आनंदराव काले, सहायक पुलिस निरीक्षक रवि सांलुखे और कांस्टेबल नरेश धोडी को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। आनंदराव काले 16 अप्रैल को हुई घटना के समय पालघर के कासा पुलिस थाने के प्रभारी थे।

154 लोगों की हुई थी गिरफ्तारी
पुलिस ने इस मामले में करीब 154 लोगों को गिरफ्तार किया गया था और 11 किशोरों को हिरासत में लिया गया था। इस मामले की जांच महाराष्ट्र सीआईडी को सौंपी गई थी, जिसने अदालत में तीन आरोप पत्र दाखिल किये थे। इस मामले के कुछ दिन बाद ही सरकार ने पालघर जिला पुलिस प्रमुख गौरव सिंह को अवकाश पर भेज दिया था।

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