संतों की अदालत में इस भूमिका में होंगे मुख्यमंत्री योगी

नाथपंथ की परम्परा के अनुसार हर वर्ष विजयदशमी के अवसर पर गोरखनाथ मंदिर में पीठाधीश्वर द्वारा संतों के विवादों का निस्तारण किया जाता है।

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गोरक्षपीठ में विजयदशमी का दिन एक और मायने में भी खास होता है। इस दिन यहां संतों की अदालत लगती है और दंडाधिकारी की भूमिका में गोरक्षपीठाधीश्वर होते हैं।

वरिष्ठ पत्रकार राजीव दत्त पाण्डेय के मुताबिक नाथपंथ की परम्परा के अनुसार हर वर्ष विजयदशमी के अवसर पर गोरखनाथ मंदिर में पीठाधीश्वर द्वारा संतों के विवादों का निस्तारण किया जाता है। मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ नाथपंथ की शीर्ष संस्था अखिल भारतवर्षीय अवधूत भेष बारह पंथ योगी महासभा के अध्यक्ष भी हैं। इसी पद पर वह दंडाधिकारी की भूमिका में होते हैं। गोरखनाथ मंदिर में विजयदशमी को पात्र पूजा का कार्यक्रम होता है। इसमें गोरक्षपीठाधीश्वर संतों के आपसी विवाद सुलझाते हैं। विवादों के निस्तारण से पूर्व संतगण पात्र देव के रूप में योगी आदित्यनाथ का पूजन करते हैं। पात्र देवता के सामने सुनवाई में कोई भी झूठ नहीं बोलता है। पात्र पूजा संत समाज में अनुशासन के लिए भी जाना जाता है।

नवमी को कन्या पूजन करेंगे सीएम योगी
नवरात्र के पहले दिन गोरखनाथ मंदिर के मठ के प्रथम तल पर स्थित शक्ति मंदिर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कलश स्थापना की थी। शक्ति आराधना के अनुष्ठान के क्रम में नवमी तिथि को (मंगलवार पूर्वाह्न) सीएम योगी दुर्गा स्वरूपा कुंवारी कन्याओं के पांव पखारेंगे, उनके माथे पे रोली, चंदन, दही, अक्षत का तिलक लगा विधि विधान से पूजन करेंगे। पूरी श्रद्धा से भोजन कराकर दक्षिणा व उपहार देकर उनका आशीर्वाद भी लेंगे। इस दौरान परंपरा के अनुसार बटुक पूजन भी किया जाएगा।

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