महाराष्ट्र में कोरोना काल से ही खून की कमी देखी जा रही थी। कम हो रहे रक्त भंडारण से मरीजों को परेशानी हो रही थी। लेकिन अब रक्त का पर्याप्त भंडारण होने से मरीजों और उनके परिजनों को राहत मिली है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक राज्य में इस समय पर्याप्त मात्रा में ब्लड का संकलन किया जा चुका है।
महाराष्ट्र में खून की कमी दूर हो गई है। अब गंभीर मरीजों और उनके परिजनों को दर-दर भटकने की नौबत नहीं आएगी। महाराष्ट्र खून संकलन के मामले में आत्मनिर्भर हो गया है। राज्य में 363 ब्लड बैंकों के माध्यम से हर साल 16.73 लाख यूनिट (बैग) खून एकत्र होता है। सामाजिक प्रतिबद्धता से हर साल 16 लाख 43 हजार लोग रक्तदान कर रहे हैं। सामान्य तौर पर मानव शरीर में करीब 5.5 लीटर खून होता है। खून में लाल रक्त कोशिकाएं, सफेद रक्त कोशिकाएं, प्लेटलेट्स और प्लाज्मा होते हैं। रक्त पूरे शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाता है। एनीमिया तब होता है जब रक्त का एक महत्वपूर्ण घटक हीमोग्लोबिन कम हो जाता है। रक्त से संबंधित रोग जैसे एनीमिया, थैलेसीमिया, हीमोफिलिया, सिकल सेल, ल्यूकेमिया, प्लेटलेट विकार, कैंसर के लिए बार-बार रक्त चढ़ाने की आवश्यकता होती है। फिलहाल अभी तक खून का कोई कृत्रिम विकल्प नहीं है। इसलिए रक्तदान अभियान को बढ़ाने पर जोर दिया जाता है। चिकित्सकों की माने तो तीन महीने में एक बार रक्तदान करना सुरक्षित है।
प्रदेश में सालाना 13 से 16 हजार लोगों की मौत सड़क हादसों में होती है, जबकि 28 हजार से ज्यादा लोग घायल होते हैं। उन्हें सबसे ज्यादा खून की जरूरत होती है। साथ ही दो से ढाई लाख गर्भवती महिलाओं को प्रसव के दौरान खून की जरूरत होती है। जानकारों के मुताबिक कुल आबादी के एक प्रतिशत को हर साल खून की जरूरत पड़ती है। खास बात यह है कि महाराष्ट्र में हर साल 52 प्रतिशत आबादी तक रक्त संग्रह होता है।
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