नई दिल्ली। कृषि बिल को लेकर राज्यसभा में विपक्ष ने महाभारत रच दिया। इस विरोध में विपक्षी दलों ने माइक तोड़ा, कागज फाड़े लेकिन इस बीच सत्तारूढ़ दल ने बिल को पास करा लिया।
कृषि क्षेत्र में व्यापक बदलावों को लेकर दो विधेयक राज्यसभा में पटल पर रखे गए थे। इसे लेकर केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर जवाब दे रहे थे तो इस बीच अभूतपूर्व हंगामा हुआ। माइक तोड़ा गया और कागज फाड़े गए। मतविभाजन की मांग और सदन की कार्यवाही टालने की मांग नहीं मानने पर विपक्ष के सांसदों ने किया हंगामा। इसके बाद राज्यसभा की कार्यवाही को स्थगित कर दिया गया।
कृषि बिलों पर चर्चा के दौरान शिरोमणि अकाली दल के नरेश गुजराल ने दोनों विधेयकों को पंजाब के किसानों के खिलाफ बताते हुए उन्हें प्रवर समिति में भेजने की मांग की। उन्होंने कहा कि सरकार को पंजाब के किसानों को कमजोर नहीं समझना चाहिए। वहीं सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने दोनों विधेयकों को किसानों के हित में बताया और कहा कि इससे उन्हें बेहतर बाजार मिल सकेगा। उन्होंने कहा कि सरकार का पूरा ध्यान किसानों की ओर है और उनकी स्थिति में सुधार के लिए वह प्रयासरत है।
राज्यसभा में इन दो बिलों पर चर्चा के लिए चार घंटे का समय तय किया गया। इन बिलों को राज्यसभा में पेश करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि ये दोनों बिल ऐतिहासिक हैं और किसानों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाले हैं।
इतना हंगामा क्यों है भाई…! क्या है इन कृषि सुधार विधेयकों में?
मुक्त व्यापार और स्वनिर्धारित मूल्य पर बेंच सकेंगे फसल
इस बिल के माध्यम से किसान अपनी फसल किसी भी जगह पर मनचाही कीमत पर बेचने के लिए स्वतंत्र होगा। इन विधेयकों से किसानों को महंगी फसलों की खेती का अवसर मिलेगा। इस बिल का समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और टीएमसी सांसद ने इसका विरोध किया। वहीं जेडीयू ने इस बिल का समर्थन किया है। कांग्रेस और बीजेपी ने राज्यसभा के अपने सभी सांसदों को सदन में उपस्थित रहने के लिए कहा था।