मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपित और दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन ने जमानत याचिका दूसरी कोर्ट में ट्रांसफर करने के आदेश के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। सत्येंद्र जैन ने दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी है। 01 अक्टूबर को दिल्ली उच्च न्यायालय ने जैन की जमानत याचिका दूसरी कोर्ट में ट्रांसफर करने के आदेश के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी थी।
28 सितंबर को उच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान सत्येंद्र जैन की ओर से पेश वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि ईडी पूरे देश पर शासन कर रही है और न्यायपालिका को एक जज के पक्ष में खड़ा होना होगा जिस पर आरोप लगाए जा रहे हैं। सिब्बल ने कहा था कि ये वक्त की मांग है कि न्यायपालिका खड़ी हो और इस तरह के कुत्सित प्रयासों को नाकाम करे। उन्होंने कहा था कि इस तरह से जजों के खिलाफ नहीं बोलना चाहिए। सिब्बल ने कहा था कि 15 सितंबर तक ईडी ने जज के खिलाफ ऐसी कोई शिकायत की। लेकिन अचानक उनकी नींद खुली और उन्होंने जमानत याचिका पर ट्रांसफर की मांग कर डाली।
कोर्ट में सुनवाई के लिए भेजा
24 सितंबर को प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज विनय कुमार ने सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका दूसरी कोर्ट में ट्रांसफर करने का आदेश दिया था। राऊज एवेन्यू कोर्ट के प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज ने सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका को विकास धूल की कोर्ट में सुनवाई के लिए भेज दिया था।
कोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग
ईडी ने सत्येंद्र जैन के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले की सुनवाई स्पेशल जज गीताजंलि गोयल की कोर्ट से दूसरे कोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग की थी। ईडी ने कहा था कि सत्येंद्र जैन ने अपनी बीमारी का झूठा बहाना बनाकर अस्पताल में भर्ती हो गए। ईडी ने स्पेशल जज गीतांजलि गोयल की कोर्ट से कहा कि सत्येंद्र जैन प्रभावशाली व्यक्ति हैं और वो दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री हैं। इस बात की पूरी आशंका है कि वो अपनी बीमारी का फर्जी दस्तावेज हासिल कर लें। लेकिन गीतांजलि गोयल की कोर्ट ने इस आशंका को नजरंदाज कर दिया था।