यूक्रेन के साथ चल रहे युद्ध के बीच रूस एस-400 मिसाइल डिफेन्स सिस्टम की तीसरी खेप देने को तैयार है। एस-400 के कलपुर्जे रूस से नवंबर में पहुंचना शुरू हो जाएंगे। भारत को अब तक रूस से एस-400 के दो स्क्वाड्रन मिले हैं। फरवरी में यूक्रेन के साथ संघर्ष शुरू होने के बाद रूस ने दूसरे स्क्वाड्रन की आपूर्ति भारत को की थी। दिसंबर में रूस से मिला पहला मिसाइल डिफेन्स सिस्टम एस-400 पंजाब सेक्टर में तैनात किया गया है। भारत के रक्षा बेड़े में शामिल हो रहे इस रूसी मिसाइल डिफेन्स सिस्टम से पूरी दुनिया खौफ खाती है।
भारतीय वायु सेना की लड़ाकू स्क्वाड्रनों की कम संख्या को देखते हुए लगातार रूसी मिसाइल डिफेन्स सिस्टम एस-400 भारत को मिलना महत्वपूर्ण है, क्योंकि वायु सेना के पास स्वीकृत 42 स्क्वाड्रन के बजाय फिलहाल 31 ही स्क्वाड्रन हैं। चीन और पाकिस्तान सीमा से लगातार खतरे को देखते हुए भारत को रूस में बने इस ताकतवर एयर डिफेंस सिस्टम एस-400 की बहुत जरूरत थी। दिसंबर में रूस से मिला पहला मिसाइल डिफेन्स सिस्टम पंजाब सेक्टर में तैनात किया गया है। यहां से यह एयर डिफेंस सिस्टम पाकिस्तान और चीन दोनों के खतरों से निपट सकता है। इसके बाद अप्रैल में मिली दूसरी एस-400 खेप को पूर्व में चिकन नेक कॉरिडोर के आसपास तैनात किया गया है, जो उत्तर-पूर्वी राज्यों को शेष भारत से जोड़ता है।
भारत ने 2018 में 35 हजार करोड़ रुपये के पांच एस-400 स्क्वाड्रन खरीदने के लिए रूस के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे। भारत को एस-400 ‘ट्रायम्फ’ मिसाइल की कुल पांच रेजीमेंट (फ्लाइट) अक्टूबर, 2023 तक मिलनी हैं। भारत के रक्षा बेड़े में शामिल हो रहे इस रूसी मिसाइल डिफेन्स सिस्टम से पूरी दुनिया खौफ खाती है। हर फ्लाइट में आठ लॉन्चर हैं और हर लॉन्चर में दो मिसाइल हैं। यह सबसे उन्नत वायु रक्षा मिसाइल प्रणालियों में से एक है, जो 400 किमी. तक की दूरी पर दुश्मन के लड़ाकू जेट, यूएवी और आने वाली मिसाइलों को नीचे ला सकती है। सतह से हवा में मार करने वाली इस मिसाइल प्रणाली से भारत की क्षमता को बढ़ावा मिलेगा।
रक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने कहा कि तीसरे एस-400 को उन असुरक्षित क्षेत्रों में तैनात किया जाएगा, जिनकी हमें रक्षा करने की जरूरत है। एस-400 के तीसरे स्क्वाड्रन को उत्तर में तैनात किए जाने की संभावना है और इनमें से एक साइट राजस्थान में हो सकती है। एस-400 सतह से हवा में मार करने वाली एस-300 मिसाइल प्रणाली का अपग्रेड वर्जन है। यह प्रणाली 600 किमी. तक के लक्ष्य का पता लगा सकती है। यह 400 किमी., 250 किमी., 120 किमी. और 40 किमी. की रेंज वाली चार अलग-अलग प्रकार की मिसाइलों से लैस है।भारतीय वायु सेना लंबी दूरी पर दुश्मन के लड़ाकू विमानों, मिसाइलों और ड्रोन का पता लगाकर उन्हें नष्ट कर सकेगी।
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