गडचिंचले गांव में दो साधु और उनके वाहन चालक की निर्ममता से हुई हत्या के संबंध में महाराष्ट्र की नई सरकार ने महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। सरकार ने हिंदू संगठन और साधु संप्रदायों द्वारा प्रकरण के सीबीआई जांच कराए जाने के संबंध में अपनी सहमति दे दी है।
ये है घटना
बता दें कि, 16 अप्रैल 2020 को पालघर के गडचिंचले गांव में तीन लोगों की बहुत निर्ममता से हत्या हो गई थी। इन लोगों को भीड़ ने पीट-पीटकर मौत के घाट उतार दिया था, जो वीडियो सामने आया था, उसमें स्पष्ट दिख रहा था कि कैसे वहां ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी अपना पीछा छुड़ाते हुए जान की भीख मांगते वृद्ध साधु समेत तीन लोगों को भीड़ के हाथ सौंप दिया। इस हत्याकांड में प्राण गंवानेवाले साधुओं में महंत सुशील गिरी महाराज (35 वर्ष), महंत कल्पवृक्ष गिरी (65 वर्ष) और कार चालक निलेश तेलगडे (30 वर्ष) का समावेश है।
गडचिंचले गांव की खूनी रात का भयावह वीडियो जब वायरल हुआ तो, उसने सभी के मस्तिष्क को हिलाकर रख दिया। पुलिस कर्मियों की उपस्थिति में जिस जघन्य रूप से लाठी-डंडे और पत्थर से पीट-पीटकर हत्या हुई वह अमानवीय होने के साथ कानून व्यवस्था पर काला धब्बा थी। इस प्रकरण में लगभग 200 लोग गिरफ्तार हुए थे। जिनमें से अधिकांश ने बॉम्बे उच्च न्यायालय से जमानत प्राप्त कर ली है।
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अब तक की जांच
इस मामले की जांच राज्य पुलिस की साआईडी कर रही थी। जिसने दो हिस्सों में आरोप पत्र दायर किया है। इसमें 126 लोगों को आरोपी दिखाया गया है, पहला आरोप पत्र 4,995 पन्नों का था, इसके बाद 5,921 पन्नों का दूसरा आरोप पत्र दायर किया गया था। इसमें बाद में भी कई आरोपियों का समावेश किया गया था। सीआईडी ने अपनी रिपोर्ट में यह माना है कि, इस निर्मम हत्या के पीछे कोई सांप्रदायिक कारण नहीं था। लोगों ने अफवाहों के चलते इस घटना को अंजाम दिया था।
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संत संप्रदाय आक्रोषित
इस जघन्य हत्याकांड को लेकर संत संप्रदाय में तीव्र रोष है। वे घटना के बाद ही प्रकरण की जांच सीबीआई से कराए जाने की मांग कर रहे हैं। लेकिन, तत्कालीन महाविकास आघाड़ी सरकार ने इसकी जांच राज्य पुलिस की गुप्तवार्ता विभाग सौंप दिया। अब भाजपा शिवसेना की युति सरकार ने संतो की उस मांग को मान लिया है और सीबीआई जांच के लिए अपनी सहमित दे दी है।