ठाकरे गुट के चुनावी चिन्ह पर ‘समता’ की ‘ममता’, कर दिया दावा !

शिवसेना में दो गुटों के पतन के बाद, शिंदे गुट ने शिवसेना पार्टी पर ही दावा किया।

143

उद्धव बालासाहेब ठाकरे पार्टी को मिले चुनाव चिन्ह मशाल पर बुधवार को समता पार्टी की प्रदेश इकाई ने अपना हक जताया है। समता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष तृणेश देवलेकर ने कहा कि उन्होंने चुनाव आयोग को ई-मेल भेज कर अपना विरोध व्यक्त किया है। अगर चुनाव आयोग ने सही निर्णय नहीं लिया तो वे इस संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करेंगे।

तृणेश देवलेकर ने 12 अक्टूबर को पत्रकारों को बताया कि मशाल चुनाव चिन्ह चुनाव आयोग ने उद्धव बालासाहेब ठाकरे पार्टी को दे दिया है, जबकि यह चुनाव चिन्ह समता पार्टी का है। एक ही चुनाव चिन्ह दो अलग-अलग राजनीतिक पार्टियां आखिर किस तरह उपयोग कर सकती हैं। चुनाव आयोग को उन्होंने इस संबंध में सारी जानकारी और शिकायत ई-मेल से भेज दी है। चुनाव आयोग उनकी शिकायत पर खुद कार्रवाई करेगा, लेकिन अगर कोई कार्रवाई नहीं गई की तो वे इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जाएंगे।

उद्धव बालासाहेब ठाकरे पार्टी के नेता और विधान परिषद के नेता प्रतिपक्ष अंबादास दानवे ने कहा कि चुनाव आयोग ने उनकी पार्टी को यह चुनाव चिन्ह दिया है। इसलिए इस मामले में चुनाव आयोग को कार्रवाई करना है। इससे पार्टी का कोई लेना-देना नहीं है।

दरअसल, दिवंगत कद्दावर कामगार नेता जार्ज फर्नांडिस ने 1974 में समता पार्टी का गठन किया था। उस समय चुनाव आयोग ने समता पार्टी को मशाल चुनाव चिन्ह दिया था लेकिन 2004 में पार्टी की मान्यता रद्द कर दिया था। इसी वजह से चुनाव आयोग ने मशाल चुनाव चिन्ह उद्धव बालासाहेब ठाकरे पार्टी को दिया है।

चुनाव आयोग ने शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे को मशाल चिन्ह दिया है। इसके बाद इस राशि से विवाद उत्पन्न होने की संभावना है। मशाल एक अन्य पार्टी चिन्ह है। इसलिए अब यह पार्टी चुनाव आयोग के पास दौड़ने की तैयारी कर रही है। क्योंकि यह बात सामने आई है कि दिवंगत नेता जॉर्ज फर्नांडिस की समता पार्टी ने मशाल के निशान पर दावा किया है। इस बीच, समता पार्टी के बारे में कहा जाता है कि उसने चुनाव आयोग को एक ई-मेल भेजा था जिसमें चुनावी चिन्ह का दावा किया गया था।

ये  भी पढ़ें – प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री शिंदे की मिमिक्री करने पर 9 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज

शिवसेना में दो गुटों के पतन के बाद, शिंदे गुट ने शिवसेना पार्टी पर ही दावा किया। चुनाव आयोग द्वारा शिवसेना को उसके मूल नाम का उपयोग करने से प्रतिबंधित करने और उसके चिन्ह को भी फ्रीज करने के बाद दोनों को एक नया नाम और चिन्ह दिया गया था। इस मौके पर आयोग की ओर से शिवसेना दल को मशाल चिन्ह दिया गया। 2004 में, चुनाव आयोग द्वारा इस पार्टी की क्षेत्रीय पार्टी के रूप में मान्यता रद्द करने के बाद, इस प्रतीक को खोला गया था। इसलिए चुनाव आयोग ने ठाकरे समूह को समता पार्टी का चुनाव चिन्ह मशाल दिया।

मशाल चिन्ह पर समता पार्टी का दावा

* समता पार्टी बिहार राज्य की एक पार्टी है।
* समता पार्टी की स्थापना 1994 में जॉर्ज फर्नांडीस ने की थी।
* 1996 में चुनाव आयोग द्वारा समता पार्टी को मशाल चिन्ह दिया गया था।
* 2004 में चुनाव आयोग ने समता पार्टी की मान्यता रद्द कर दी थी।
* 2014 के बाद समता पार्टी ने कोई चुनाव नहीं लड़ा।

समता पार्टी सर्वोच्च न्यायालय और चुनाव आयोग में अपील करेगी क्योंकि ठाकरे समूह को मशाल का चिन्ह मिलेगा।
इस बीच, कहा जाता है कि उन्होंने मशाल चिन्ह प्राप्त करने के लिए चुनाव आयोग को ईमेल किया था। मशाल चिन्ह की समानता के कारण मत विभाजन की संभावना है। इसलिए समता पार्टी ने कहा कि दूसरों को मशाल का चिन्ह न देने का अनुरोध किया गया है।

Join Our WhatsApp Community

Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.