संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधारों को लेकर लंबे काल से चर्चा शुरू है। परंतु, इसका परिणाम कुछ नहीं है। इस विषय में भारत की ओर से लगातार प्रयत्न किये जा रहे हैं। जिस पर चर्चा में उत्तर देते हुए विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने कहा है कि, यहि सुधारों पर ध्यान नहीं दिया जाता तो संयुक्त राष्ट्र संघ जैसी संस्था अप्रासंगिक हो जाएगी।
संयुक्त राष्ट्र संघ के छह मुख्य हिस्से हैं। जिसमें 15 सदस्य हैं, इनमें से पांच स्थाई सदस्य हैं, इसमें अमेरिका, रूस, फ्रांस, इग्लैंड और चीन का समावेश है। जबकि, शेष 10 सदस्य में से किसी एक को दो वर्षों के कार्यकाल के लिए अध्यक्ष चुना जाता रहा है। भारत का समावेश भी इन्हीं 10 देशों में से है। वर्तमान समय में भारत अध्यक्ष है, जिसका कार्यकाल दिसंबर 2022 में समाप्त हो जाएगा। भारत लंबे काल से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता को लेकर प्रयत्नशील रहा है।
क्या कहते हैं विदेश मंत्री
विश्व में बड़ी संख्या में देश हैं जो अब सोचते हैं कि,संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की कार्यप्रणाली में उनके हितों पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता। यदि आप संयुक्त राष्ट्र की जनरल असेंबली में जाएं और कुछ अफ्रीकी, लेटिन अमेरिकी या एशियाई द्वीपों पर बसे राष्ट्रों के प्रतिनिधियों से बात करेंगे तो पाएंगे कि, यह उनका संयुक्त राष्ट्र संघ नहीं है। यही संयुक्त राष्ट्र की प्रतिष्ठा पर घात कर रही है।
रूस ने माना सुरक्षा परिषद में बदलाव आवश्यक
रूस के विदेश मंत्री लावरोव ने कहा है कि भारत और ब्राजील संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता के लिए दो प्रबल दावेदार हैं। यदि रिपोर्ट देखी जाएं तो जापान और जर्मनी भी स्थाई सदस्यता के लिए प्रयत्नशील हैं। ऐसी स्थिति में भारतीय विदेश मंत्री एस.जयशंकर कहते हैं कि, भारत को बहुत से देशों का प्रबल समर्थन है। इसका कारण है कि, भारत वैश्विक अच्छाई के लिए काम करता है।