स्वातंत्र्यवीर सावरकर के देश में कांग्रेस जैसे चंद विपक्षी दल सदा तुष्टीकरण की राजनीति के लिए टिप्पणियों में संलिप्त रहते हैं। कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी ने फिर एक बार टिप्पणी की है, इस बार उन्होंने आरएसएस है और उसके साथ स्वातंत्र्यवीर सावरकर का नाम लिया है, दूसरी ओर आतंकियों की पत्रिका वॉइस ऑफ खोरासन ने भी अपने वर्तमान अंक में आरएसएस और स्वातंत्र्यवीर सावरकर पर टिप्पणी की है। जिसके बाद यह मुद्दा स्वाभाविक रूप से उठने लगा है कि, वीर सावरकर पर टिप्पणी करने के लिए क्या कांग्रेस और आतंकी संगठन एक ही टूलकिट पर काम कर रहे हैं?
क्या है आतंकी पत्रिका में?
वॉइस ऑफ खोरासन, इस्लामिक स्टेट की प्रतिबंधित पत्रिका है, जो भारतीय मुस्लिमों में कट्टरवादी प्रवृत्ति के निर्माण के साथ ही आतंकी विचारों को विकसित करती है। इस पत्रिका के 15वें में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को मुस्लिम द्वेषी संगठन के रूप में प्रस्तुत किया है। वर्ष 1925 में जिसकी स्थापना डॉ.हेडगेवार ने की थी जो वीर सावरकर से प्रभावित थे। वीर सावरकर पर ऊटपटांग शब्दों को प्रयोग किया गया है। इस पत्रिका के पहले भाग हिंदुत्व, आरएसएस एंड एन इस्लामोफोबिक स्टेट में आरएसएस और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार पर एकतरफा हमला किया गया है।
क्या कहा है राहुल गांधी ने?
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी इन दिनों अपने पार्टी की ‘भारत जोड़ो’ यात्रा में कर्नाटक में थे। इसमें 8 अक्टूबर 2022 को उन्होंने एक टिप्पणी की थी कि, आरएसएस ने अंग्रेजों की सहायता की थी, जबकि, वीर सावरकर अंग्रेजों से स्टाइपेंड लिया करते थे। राहुल गांधी की स्वातंत्र्यवीर सावरकर पर टिप्पणी कोई पहली बार नहीं आई है। वे लगातार जब-जब जनता के बीच पहुंचते हैं तो, ऐसा करते रहे हैं।
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इन टिप्पणियों के क्या है अर्थ
आतंकी पत्रिका का अंक 1444 एएच (30 जुलाई 2022, हिजरी) का है, जबकि राहुल गांधी का बयान अक्टूबर का है। ऐसी स्ठिति में प्रश्न यही है कि, भाषा भले ही अलग हो, परंतु मुद्दे एक जैसे क्यों हैं। इन बयानों और लेखों के पीछे साम्यता कैसे है? क्या है वो टूलकिट जिस पर आतंकी संगठन और कांग्रेस समानांतर रूप से कार्य कर रहे हैं और क्रांतिप्रणेता स्वातंत्र्यवीर सावरकर पर लगातार हमला बोल रहे हैं।