भारत में शिक्षण संस्थानों में हिजाब पहनने को लेकर विवाद जारी है और फिलहाल मामला सर्वोच्च न्यायालय की बेंच के पास है। इस बीच स्विटंजरलैंड में बुर्का पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। यहां बुर्का पहनने पर 1000 अमेरिकी डॉलर यानी 82 हजार का जुर्माना लगाने का एक मसौदा संसद में पेश किया है, जिसकी मंजूरी अभी बाकी है।
स्विट्जरलैंड में पिछले वर्ष इसे लेकर जनमत संग्रह कराया गया था। इसमें अधिकांश लोगों ने धार्मिक स्थानों पर चेहरे ढंकने के विरोध में मतदान किया था। इस प्रस्ताव को उसी संस्था ने भेजा है, जिसकी सिफारिश पर 2009 में देश में नई मस्जिद और मीनारों को बनाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
कई तरह के छूट
सार्वजनिक स्थानों पर चेहरा ढंकने को लेकर कई तरह की छूट भी दी गई है। प्रस्ताव में मस्जिदों और राजनयिक स्थलों, राजनयिक परिसरों और विमानों में चेहरे ढंकने की छूट देने की बात कही गई है।
इसके आलावा स्वास्थ्य, सुरक्षा, जलवायु परिस्थितियों तथा रीति रिवाजों से संबंधित मामलों में भी छूट दी गई थी। इसके साथ ही कलात्मक और विज्ञापनों में भी इसमें छूट की गई है।
ये है उद्देश्य
सरकार ने इस बारे में बताते हुए कहा है कि इसका उद्देश्य आतंकियों और हिंसक प्रदर्शन करने वालों पर रोक लगाना है। कैबिनेट ने अपने बयान में कहा है, चेहरे ढंकने पर प्रतिबंध लागू करने का उद्देश्य सार्वजनिक सुरक्षा और व्यवस्था को सुनिश्चित करना है। सजा का प्रावधान इसलिए किया गया है ताकि लोग इस कानून का पालन करें।
समर्थकों ने किया स्वागत
-समर्थकों ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है। उनका कहना है कि बुर्का और हिजाब कट्टरपंथ और राजनीति इस्लाम का प्रतीक है। यहां करीब 5 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है और इनमें अधिकांश तुर्की, बोस्निया और कोसावो के लोग हैं।
-स्विट्जरलैंड में 2011 में सार्वजनिक स्थानों पर पूरे चेहरे को ढंकने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। स्विट्जरलैंड के साथ ही डेनमार्क, ऑस्ट्रिया, नीदरलैंद, फ्रांस और बुल्गाविया में भी सार्वजनिक रूप से चेहरा ढंकने पर प्रतिबंध है।