ठाकरे के धन दौलत पर लगी किसकी नजर, क्या हुआ सीबीआई ईडी जांच की मांग पर?

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मुंबई उच्च न्यायालय में ठाकरे की संपत्तियों की केंद्रीय एजेंसियों से जांच करानेवाली याचिका पर सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी। यह याचिका मुंबई के प्रभादेवी की व्यावसायिक गौरी भिड़े ने दायर की है।

अपनी याचिका के समर्थन में गौरी भिड़े ने मीडिया से कहा है कि, एक जागरूक नागरिक होने के कारण मैंने सोचा कि केंद्र सरकार को बेहिसाबी, छुपे धन और संपत्तियों के बारे में क्यों न भंडाफोड़ करके सहायता की जाए। इस प्रकरण की सुनवाई न्यायाधीश एस.वी गंगापुरवाला और आर.एन लड्ढा की पीठ के पास है। भिड़े अपने प्रकरण में खुद ही जिरह करेंगी। इसके लिए गौरी भिड़े को न्यायालय पंजीयक से ‘पार्टी इन पर्सन’ का सर्टिफिकेट लेना होगा।

इस संबंध में न्यायालय ने सुनवाई में याचिकाकर्ता को सूचित किया कि, उनकी याचिका में कुछ आक्षेप हैं जिन्हें खत्म करना होगा। यह एक औपचारिकता है, जो कुछ समय लेगी। इसके बाद प्रकरण की अगली सुनवाई 16 नवंबर तक टाल दी गई।

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याचिका की मुख्य बातें

  1. याचिका में उल्लेख किया गया है कि, गौरी भिड़े प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई से प्रेरित हैं। इसके साथ ही याचिका के साथ कागज पत्र जोड़े गए हैं जो निर्दिष्ट करते हैं कि, किस तरह उद्धव ठाकरे और उनके परिवार द्वारा भ्रष्टाचार किया गया और अवैध रूप से अकूत संपत्ति एकत्रित की गई।
  2. याचिका के एक्जिबिट यह बताता है कि, किसी पार्टी के पद पर आसीन होने मात्र से आय का श्रोत वैध नहीं हो जाता। इसके साथ ही किसी राज्य का मुख्यमंत्री पद या कैबिनेट मंत्री पद प्राप्त करने मात्र से आय का श्रोत वैध नहीं माना जा सकता। इन पदों को मिलनेवाले मानधन बहुत ही सीमित हैं।
  3. उद्धव ठाकरे और उनके परिवार ने कभी भी अपने आय का श्रोत, व्यावसाय घोषित नहीं किया। इसके बाद भी हमने पाया कि उनके पास मुंबई जैसे मेट्रो शहर और रायगढ़ में अकूत संपत्तियां हैं। इन संपत्तियों की कीमत करोड़ो में है।
  4. ठाकरे परिवार के नजदीकी लोगों के यहां पड़े सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के छापों का उल्लेख भी याचिका में किया गया है। जिसके माध्यम से बताने का प्रयत्न किया गया है कि, ठाकरे परिवार और छापा कार्रवाई जिनके यहां हुई है, उन लोगों के बीच नजदीकी संबंध हो सकते हैं।
  5. भिड़े अपनी याचिका में लिखती हैं, उन्होंने चुनावी प्रतिज्ञापत्र में घोषित उद्धव ठाकरे और उनके पुत्र आदित्य ठाकरे की संपत्तियों का उल्लेख देखा है। इसके अलावा गौरी ने खुद भी जांच की। उसमें गौरी कहती हैं कि, मेरी जांच में आश्चर्यजनक बातें हैं। ठाकरे के समाचार पत्र सामना और मार्मिक पत्रिका का कभी ऑडिट ब्यूरो ऑफ सर्क्युलेशन की ओर से कभी ऑडिट नहीं किया गया है। इसके अलावा कोई भी दोनों पब्लिकेशन का प्रिंट ऑर्डर नहीं जानता।
  6. कोविड-19 लॉकडाउन में जब पूरी प्रिंट मीडिया भारी क्षति उठा रही थी, उस काल में ठाकरे के प्रबोधन प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड ने 42 करोड़ रुपए का टर्नओवर और 11.5 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ दिखाया है। इस काल में उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री और आदित्य ठाकरे कैबिनेट मंत्री थे। यह एक स्पष्ट प्रकरण है काली कमाई को जायज सिद्ध करने का। जिसमें अवैध रूप से मनपा से इकट्ठा किये गए धन को उपरोक्त कंपनियों में दिखाया गया है। कंपनी के अकाउंट स्टेटमेंट स्पष्ट रूप से सच्चाई दिखा रहे हैं।
  7. वर्ष 2020 में कंपनी के शेयर होल्डिंग पैटर्न में बदलाव किया गया, जिससे तेजस उद्धव ठाकरे को परिवार की कंपनी से लाभ पहुंचाया जाए।
  8. ठाकरे की आलीशान और भव्य जीवनशैली को देखते हुए मार्मिक और सामना कभी भी उनकी रोजी रोटी कमाने का माध्यम नहीं हो सकता है। उनका राजनीतिक दल शिवसेना और उसके नगरसेवक जिसमें विशेष रूप से स्थाई समिति और सुधार समिति के अध्यक्ष उनके आय का एकमात्र धनोपार्जन का माध्यम हैं।

कौन हैं गौरी भिड़े?
गौरी भिड़े के दादाजी द्वारा शुरू किया गया राजमुद्रा प्रकाशन की वे प्रकाशक हैं। उन्होंने यह दावा किया है कि, हम भी इस व्यवसाय में हैं लेकिन दोनों की आय में बड़ा अंतर है। यह कैसे है।

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