काशी हिंदू विश्वविद्यालय में बीफ पर सवाल पूछना परीक्षक पर भारी पड़ सकता है। 20 अक्टूबर को BHU कैंपस में इसको लेकर तेजी से विरोध शुरू हो गया है। 6 छात्रों का एक दल 20 अक्टूबर को कुलसचिव से मिलकर अपना विरोध दर्ज कराया। जानकारी के मुताबिक इस तरह के सवाल सेट करने वाले प्रोफेसर और विशेषज्ञ पर कार्रवाई होनी चाहिए। छात्रों ने बताया कि कुलसचिव ने जांच कराकर कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है। इस पर छात्रों ने कहा कि जांच में देरी हुई या अनौपचारिक रवैया अपनाया गया तो वे चुप नहीं बैठेंगे। सड़क पर उतरकर विरोध जताएंगे। जानकारी देने वालों में शोध छात्र मृत्युंजय तिवारी, शोध छात्र पतंजलि पांडेय, अधोक्षज, वैभव आदि छात्र शामिल रहे।
बीफ पर सवाल पूछे जाने के बाद सोशल मीडिया पर पेपर वायरल हो रहा था। विरोध में लोगों का कहना था कि विश्वविद्यालय के संस्थापक महामना ने जिस गोवंश की सेवा के लिए कैंपस में बड़े गौशाला बनवाया। उसी कैंपस में गोमांस की रेसिपी पूछी जा रही है। कुलपति जांच कराकर पेपर बनाने वाले प्रोफेसर पर कड़ी कार्यवाही करें। फैकल्टी ऑफ आर्ट में चल रहे सेमेस्टर परीक्षा के दौरान बीफ का क्लासिफिकेशन पूछा गया था। बैचलर ऑफ वोकेशन कोर्स के दूसरे सेमेस्टर में कैटरिंग टेक्नोलॉजी एंड होटल सब्जेक्ट के पेपर में सवाल नंबर 3, जो कि 15 नंबर का है। यह लांग आंसर टाइप क्वेश्चन था।
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छात्रों ने कुलपति को बताया हिंदू विरोधी
बीएचयू के शोध छात्र पतंजलि पांडेय ने फेसबुक पर लिखा’ ”महामना ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय जिन मूल्यों, आदर्शों और उद्देश्यों को लेकर की थी। वह सब कुछ मौलाना कुलपति के आने के बाद वह सीधे विपरीत दिशा की ओर बढ़ गई है। जिस विश्वविद्यालय में महामना ने गौशाला की स्थापना कराई। गौ संवर्धन और गौरक्षा के व्रत को धारण कराया। उसी विश्वविद्यालय में हिंदू विरोधी कुलपति के नेतृत्व में अब बीफ निर्माण और उसके वर्गीकरण का अध्ययन कराया जा रहा है।