नेपाली सेना को असॉल्ट राइफलों के लिए गोलियां आपूर्ति करने का आठ साल से चला आ रहा चीनी एकाधिकार भारतीय निजी फर्म ने तोड़ दिया है। सरकार-से-सरकार अनुबंध मार्ग के तहत नेपाली सेना के लिए 2 मिलियन 5.56×45 मिमी राउंड की आपूर्ति की है। गोलियों की गुणवत्ता के बलबूते भारतीय कंपनी एसएसएस डिफेन्स ने चीनी कंपनी को मात देकर यह अनुबंध हासिल किया है।
और भारत से बंद कर दी खरीद
दरअसल, 2005 में माओवादियों के साथ एक घातक मुठभेड़ में 43 नेपाली सैनिक मारे गए थे। इसके बाद नेपाल ने भारतीय राइफल को घटिया बताते हुए दावा किया था कि अगर उन्हें बेहतर हथियार मिलते तो ऑपरेशन में नेपाली सैनिकों को जान न गंवानी पड़ती। इसके बाद भी नेपाली सेना आठ साल पहले तक भारत से ही गोला-बारूद का आयात करती थी। बाद में भारतीय इंसास राइफलों को कोरियाई और अमेरिकी राइफलों के साथ बदलने के बाद भारत से आपूर्ति बंद कर दी थी।
नेपाल ने मंगाई थी निविदाएं
भारतीय और नेपाली सेना का एक लंबा इतिहास है और भारतीय सेना में लगभग 35 हजार नेपाली गोरखा सैनिक हैं। इसके अलावा 1.3 लाख से अधिक पूर्व नेपाली सैनिक हैं, जो अपनी सैन्य सेवा पूरी करने के बाद भारत से पूर्ण पेंशन हासिल कर रहे हैं। नेपाल की सेना ने पिछले आठ वर्षों से एक भी भारतीय हथियार प्रणाली या गोला-बारूद नहीं खरीदा था। नेपाल को आठ साल से चीनी कंपनी गोला-बारूद और बुलेट की आपूर्ति कर रही थी। नेपाली सेना ने इस बार चीनी कंपनी से बोलियां मांगने के साथ ही भारत से भी पत्र लिखकर बोली लगाने के लिए कहा था।
बेंगलुरु की कंपनी ने जीती निविदा
इस पर बेंगलुरु की कंपनी एसएसएस डिफेंस चीनी कंपनी के मुकाबले में उतरी। इसके बाद नेपाली सेना ने अपनी मूल्यांकन प्रक्रिया शुरू की और भारतीय एसएसएस डिफेन्स की गोलियों को गुणवत्ता के बलबूते चयनित किया। इसी के बाद सरकार से सरकार अनुबंध के तहत नेपाली सेना के लिए 2 मिलियन 5.56×45 मिमी राउंड की आपूर्ति करने का सौदा हुआ। यह अनुबंध भारत के बढ़ते रक्षा उद्योग और भारतीय प्रणालियों के लिए निर्यात क्षमता का एक और उदाहरण है। नेपाल को बुलेट्स की आपूर्ति शुरू कर दी गई है, जो अगले साल की शुरुआत तक पूरी हो जाएगी।
एसएसएस डिफेंस निजी क्षेत्र की रक्षा कंपनी
एसएसएस डिफेंस कंपनी आंध्र प्रदेश में अपने कारखाने में गोला-बारूद का निर्माण कर रही है। कंपनी का भारत में गोला-बारूद के उत्पादन के लिए ब्राजील की फर्म सीबीसी डिफेंस के साथ एक संयुक्त उद्यम है, जो सैन्य गोला-बारूद का दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। सीबीसी भारतीय सशस्त्र बलों के लिए एक आपूर्तिकर्ता रहा है और भारतीय सेना को भी छोटे कैलिबर की आपूर्ति के लिए एक अनुबंध चल रहा है। पिछले साल अक्टूबर में एसएसएस डिफेंस ने भारतीय बलों की कलाश्निकोव राइफल्स को अपग्रेड करने के लिए एक अनुबंध हासिल करने के लिए इजरायली फर्म फैब डिफेंस को पीछे छोड़ दिया था।
बढ़ा रक्षा निर्यात
भारत का रक्षा निर्यात 2021-2022 के वित्त वर्ष में रिकॉर्ड 13 हजार करोड़ रुपये को छू गया था, जो 2014 के मुकाबले लगभग आठ गुना था। 2020 में नरेन्द्र मोदी सरकार ने 2025 तक एयरोस्पेस, रक्षा वस्तुओं और सेवाओं में 35 हजार करोड़ रुपये (5 बिलियन डॉलर) के निर्यात का लक्ष्य रखा था। यह रक्षा में 1.75 लाख करोड़ रुपये (25 बिलियन डॉलर) के नियोजित कारोबार का हिस्सा था।