टार्गेट किलिंग: कश्मीर से हिंदुओं का पलायन, दर्द और दहशत लेकर पंडित जम्मू चले

दक्षिण कश्मीर में हिंदुओं की टार्गेट किलिंग से दहशत है। हालांकि, राज्य से अनुच्छेद 370 और 35अ हटने के बाद शांति का संचार हुआ है। केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद कश्मीर में आतंकियों पर ढूंढ ढूंढकर कार्रवाई हो रही है। लेकिन, आतंकियों ने टार्गेट किलिंग का फंडा अपनाना शुरू किया है।

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कश्मीर संभाग के शोपियां जिले से हिंदुओं का पलायन हुआ है। इसमें कश्मीरी पंडित का वह पीड़ित परिवार भी है, जिनकी आतंकियों ने टार्गेट किलिंग के अंतर्गत हत्या कर दी थी। वहां दस परिवार रहते थे। जिनके घरों पर ताला है और क्षेत्र में सन्नाटा पसरा है।

वर्ष 1990 में हिंदुओं की हत्याओं, महिलाओं से अपराध में लाखो हिंदू परिवार उध्वस्त कर दिये गए थे। इसमें लगभग पांच लाख से अधिक कश्मीरी पंडितों और हिंदुओं ने पलायन किया और देश के दूसरे राज्य में आश्रय लिया। इनमें से शोपियां जिले के चौधरी गुंड के रहनेवाले हिंदू भी थे, परंतु, यह परिवार परिस्थितियां सामान्य होने के बाद लौट आए थे।

हमले के बाद से दहशत
चौधरी गुंड में कुल 10 हिंदू परिवार रहते हैं। जिनके साथ 15 अक्टूबर, 2022 को आतंकी घटना हुई। जब पूरन कृष्ण भट को आतंकियों ने गोली मार दी। इसके बाद गांव के हिंदू परिवारों में दहशत फैल गई। पूरन कृष्ण भट का परिवार हत्या के कुछ समय बाद ही जम्मू चला गया, जबकि बाकी बचे हिंदुओं ने पिछले दो दिनों में अपने घरों में ताला लगाकर जम्मू की शरण ले ली है।

चौधरी गुंड गांव में कुल 10 हिंदू परिवार रहते थे। जिनमें से पूरन कृष्ण भट का परिवार पहले ही पलायन कर चुका था और अब बाकी के परिवार पलायन कर गए हैं। ये सभी परिवार अपने घरों पर ताले लगाकर गए हैं, लेकिन उनके बागों के कार्य आधे अधूरे हैं, स्पष्ट है जान के आगे धन को कौन देखता है।

यह हिंदू नरसंहार
इक्कजुट्ट जम्मू ने शोपियां के चौधरी गुंड से हिंदुओं के पलायन को नरसंहार का हिस्सा कहा है। इसके लिए केंद्र सरकार और उपराज्यपाल पर भी लापरवाही का आरोप लगाया है। इक्कजुट्ट जम्मू ने मांग की है कि, जम्मू को अलग राज्य बनाया जाए, जबकि कश्मीर को दो हिस्सों में बांटा जाए। इसमें से एक हिस्से को हिंदुओं के लिए रखा जाए।
अंकुर शर्मा – अध्यक्ष, इक्कजुट्ट जम्मू

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