गुजरात में विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू है। इस स्थिति में सभी बड़ी पार्टियां अपनी पूरी ताकत झोंककर चुनाव प्रचार में जुटी हैं। इसी क्रम में भारतीय जनता पार्टी ने गुजरात की जनता से समान नागरिक संहिता लागू करने का वादा किया है। इससे पहले उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार ने इस दिशा में कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। इसके लिए कमेटी गठित की गई है। इसके साथ ही देश में इस मुद्दे पर हलचल तेज हो गई है।
केंद्र सरकार इस मामले में शांत है। हालांकि उसने सर्वोच्च न्यायालय में शपथ पत्र दायर कर इसका समर्थन किया है। इस बीच कुछ मुस्लिम संगठन खुलकर यूसीसी के समर्थन में आगे आए हैं। उनका मानना है कि सभी देशवासियों के लिए एक कानून होना चाहिए। उन्होंने इस मुद्दे पर राजनीति करने वाले मुस्लिम संगठनों से समुदाय के लोगों को बचने की अपील की है। विश्व हिंदू परिषद पहले से ही यूसीसी का समर्थन कर रही है।
जमात उलेमा-ए-हिंद
जमात उलेमा-ए-हिंद प्रमुख मौलाना सुहैब कासमी ने यूसीसी का समर्थन करते हुए कहा है कि सभी बड़े देशों अमेरिका, कनाडा और जापान जैसे कई देशों में एक देश, एक कानून है। भारत में भी मुस्लिम समाज समान नागरिक कानून का समर्थन करता है। कट्टरपंथियों पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने तीन तलाक का विरोध किया था, उनके बहकावे मे वे न आएं।
ऑल इंडिया इमाम ऑर्गेनाइजेशन
ऑल इंडिया इमाम ऑर्गेनाइजेशन के प्रमुख डॉ. उमेर अहमद इलियासी ने कहा कि राष्ट्रीय मुद्दों पर अच्छी तरह विचार कर ही आगे का निर्णय लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि अब भारत का चेहरा बदल रहा है। अब ये देश विश्व गुरू बनने की राह पर है। इस स्थिति में सभी भारतवासियों को राष्ट्रहित में सोचना चाहिए। समाान नागरिक संहिता के मामले पर गंभीरता से विचार करने की जरुरत है।
इंडियन मुस्लिम फॉर प्रोग्रेस एंड रिफॉर्म्स
इंडियन मुस्लिम फॉर प्रोग्रेस एंड रिफॉर्म्स के अध्यक्ष डॉ. एमजे खान ने कहा है कि अगर कानून से देश का विकास प्रभावित होता है तो उसमें बदलाव लाया जाना चाहिए। लेकिन इस बारे में गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए।
भाजपा के घोषणा पत्र में ये शामिल
भाजपा के घोषणा पत्र में यह मुद्दा शामिल है। लेकिन इस दिशा में ठोस पहल की जरूरत है। केद्र की भाजपा सरकार 2024 में लोकसभा चुनाव से पहले वह इस कानून को लागू कर अपने घोषणा पत्र में किए गए वादे को पूरा कर सकती है। इससे पहले वह अयोध्या में राम मंदिर निर्माण और जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाने के वादे को पूरा कर चुकी है।
सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है मामला
फिलहाल ये मामला सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है। वरिष्ठ अधिवक्ता और भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय के साथ ही मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्व विद्यालय के पूर्व उपकुलपति और देश के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना आजाद के पौत्र फिरोज बख्त अहमद ने इस मांग का समर्थन किया है। उन्होंने इसके लिए न्यायालय में एक याचिका दायर की है। केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में एक शपथ पत्र दायर कर यूसीसी का समर्थन किया है।