स्वतंत्र भारत के भारत के पहले मतदाता श्याम सरन नेगी नहीं रहे। 106 वर्ष की आयु में नेगी ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। हिमाचल प्रदेश के जनजातीय जिला किन्नौर के कल्पा स्थित अपने आवास में उन्होंने शनिवार सुबह अंतिम सांस ली। उन्होंने हिमाचल विधानसभा विधानसभा चुनाव के लिए 02 नवम्बर को पोस्टल बैलेट से अपने घर पर वोट डाला था। आज पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
श्याम सरन नेगी अपनी अंतिम सांस तक लोकतंत्र का झंडा बुलंद करते रहे और लोगों को मतदान की अहमियत समझाते रहे। अब तक हर चुनाव में वोट डाल चुके नेगी ने कुल 34 बार मतदान किया। निर्वाचन आयोग ने वर्ष 2014 के आम चुनाव में अभियान के लिए उन्हें अपना ब्रांड एम्बेसडर बनाया था।
सेवानिवृत्त शिक्षक श्याम सरन नेगी को स्वतंत्र भारत के पहला मतदाता होने का गौरव प्राप्त है। भारत में पहली बार फरवरी 1952 में आम चुनाव हुआ था। किन्नौर जिले में बर्फबारी की वजह से 25 अक्टूबर 1951 को पांच महीने पहले मतदान करवा दिया गया था। तब नेगी किन्नौर के मूरंग स्कूल में अध्यापक थे। चुनाव में उनकी ड्यूटी लगी थी। इस दौरान सबसे पहले वोट डालकर वह आजाद भारत के प्रथम मतदाता बने थे।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी मनीष गर्ग ने शोक संदेश में कहा कि श्याम सरन नेगी ने मतदाताओं की पीढ़ियों को लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत करने के लिए मताधिकार के अपने अधिकार का प्रयोग करने के लिए प्रेरित किया। उनकी प्रतिबद्धता ऐसी थी कि उन्होंने अपने जीवन की अंतिम सांस तक मतदान किया। उन्होंने 02 नवंबर को कल्पा में अपने घर पर डाक मतपत्र के माध्यम से अपना वोट डाला। मनीष गर्ग ने कहा कि वो नेक इंसान थे। ईश्वर से दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान कर परिवार के सदस्यों को इस दुख को सहन करने की शक्ति प्रदान करे।
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