वैज्ञानिकों ने लैबोरेटर में रक्त का निर्माण करने में सफलता प्राप्त की है। इसके क्लिनिकल ट्रायल शुरू हो गए हैं। इस प्रयोग के सफल होने के पश्चात यह विश्व में रक्ताल्पता और सिकल जैसी बीमारी से जूझ रहे लोगों की समस्या से समाप्त कर सकता है।
इंग्लैंड के वैज्ञानिक और ब्रिसटल यूनिवर्सिटी के दल ने स्टेम सेल से रेड सेल्स का निर्माण किया है। इसके बाद इसका क्लिनिकल ट्रायल करने के अंतर्गत इसे दो लोगों में चढ़ाया गया है। हालांकि, उसकी मात्रा 5-10 मिलीलीटर ही है। क्लिनिकल ट्रायल के अंतर्गत अगले चार महीनों में दस लोगों में रक्त का ट्रान्सफ्यूजन (चढ़ाना) करना है। यदि यह प्रयोग सफल होता है तो, यह विश्व में रक्त की बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए क्रांतिकारी खोज होगी।
क्लिनिकल ट्रायल के अंतर्गत अध्ययन
इस परीक्षण में वैज्ञानिक लैबोरेटरी में निर्मित रक्त कणों के जीवन का अध्ययन करेंगे। इसका क्लिनिकल ट्रायल जिन व्यक्तियों में किया गया है, उनके लाल रक्त कणों से तुलना की जाएगी। इसके अलावा विभिन्न आयु के लोगों से लिये गए लाल रक्त कणों के साथ भी लैब में निर्मित रक्त कणों की जांच की जाएगी। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि, लैब में निर्मित रक्त कण ताजा हैं, जिसके कारण वे अच्छा परिणाम देंगे।
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Red blood cells grown in a lab have been transfused into another person in a world first #RESTORE trial by @NHSBT Cédric Ghevaert & @AshToye_Bristol which could revolutionise treatments for blood disorders such as #sickle cell & rare blood types.
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— University of Bristol (@BristolUni) November 7, 2022
संस्थानों का संयुक्त प्रयोग
रक्त निर्माण कार्य में एनएचएस ब्लड एंड ट्रांसप्लांट (एनएचएसबीटी), यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टोल, यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज समेत विभिन्न संस्थाएं हैं।
मानव निर्मित रक्त की विशेषता
लैब में निर्मित रक्त कण (ब्लड सेल) लंबे समय तक शरीर में कार्य करेगा, जिससे बार-बार रक्त की आवश्यकता से जूझ रहे पीड़ितों को लाभ होगा। इससे रक्त चढ़ाने की आवश्यकता कम हो जाएगी जिससे कि पीड़ितों को संक्रमण का खतरा कम होगा। क्लिनिकल ट्रायल के अंतर्गत जिन दो वालंटियरों को रक्त चढ़ाया गया है, उन पर लक्ष्य है। वे अभी स्वस्थ्य हैं, इनकी पहचान गुप्त रखी गई है।