जब बच्चे को गोद लेने की बात आती है, तो लोगों को कठिन प्रक्रिया का सामना करना पड़ता है। यह प्रक्रिया काफी जटिल होती है और इसे पूरा करने में काफा समय लगता है। इस कारण लोग अपनी इच्छा के बावजूद बच्चे को गोद नहीं लेते हैं या कानूनी प्रक्रिया से गुजरे बिना बच्चे को गोद लेते हैं। अब इस देरी से बचने के लिए गोद लेने की प्रक्रिया को सरल बनाया गया है। इस प्रक्रिया में न्यायिक देरी से बचने के लिए जिला कलेक्टर को सीधे गोद लेने के आदेश जारी करने का अधिकार दिया गया है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास आयुक्तालय ने इस संबंध में लिखित निर्देश जारी किया है।
राज्य में गोद लेने के लंबित मामलों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। चूंकि न्यायालय से आदेश प्राप्त करने में छह महीने से अधिक का समय लगता है, इसलिए गुप्त रूप से गोद लेकर अक्सर कानूनी प्रक्रिया से बचा जाता है। इस कारण संबंधित बच्चे को दत्तक माता-पिता की संपत्ति में हिस्सा पाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। लेकिन अब संबंधित कलेक्टर सीधा आदेश दे सकते हैं। यह प्रक्रिया महज एक महीने में पूरी हो जाएगी। इसलिए कमिश्नरेट ने कोर्ट में लंबित गोद लेने से जुड़े सभी मामलों को जिलाधिकारी को ट्रांसफर करने का आदेश दिया है।
नई प्रक्रिया
अब जो दम्पति बच्चा गोद लेना चाहते हैं, वे जिला बाल संरक्षण कार्यालय में पंजीकरण कराएंगे। इसमें कक्ष के अधिकारी मदद करेंगे। चेंबर की टीम सभी मामलों की जांच करेगी और अपने फीडबैक के साथ कलेक्टर को प्रस्ताव सौंपेगी। गोद लेने का आदेश कलेक्टर जारी करेगा। दस्तावेज सही होने पर यह प्रक्रिया 60 दिनों के भीतर पूरी कर ली जाएगी।