भगोड़े हीरा व्यापारी नीरव मोदी के प्रत्यर्पण का मार्ग साफ हो गया है। ब्रिटेन उच्च न्यायालय ने भारत को प्रत्यर्पण करने के निर्णय को चुनौती देनेवाली याचिका को खारिज कर दिया है। नीरव मोदी पर पंजाब नेशनल बैंक से 14 हजार करोड़ रुपए की धोखाधड़ी का आरोप है।
नीरव मोदी की ओर से उच्च न्यायालय में दलील दी गई थी कि, नीरव अवसाद से पीड़ित है, भारत की जेल में ऐसी परिस्थिति है कि, वह आत्महत्या कर सकता है। उसके इस तर्क को न्यायालय ने अस्वीकार करते हुए याचिका को खारिज कर दिया।
उच्च न्यायालय ने अपनी सुनवाई में यह कहा था कि, इग्लैंड के संबंध भारत के साथ अच्छे हैं। दोनों देशों के बीच 1992 में प्रत्यर्पण संधि है। इसलिए वेस्टमिन्स्टर न्यायालय ने प्रत्यर्पण को लेकर जो आदेश दिया था, वह योग्य था। न्यायालय ने अपने निर्णय में यह स्पष्ट किया है कि, आत्महत्या का अंदेशा व्यक्त करना आधार नहीं हो सकता।
नीरव के विरुद्ध आरोप
नीरव मोदी पर फर्जीवाड़े का षड्यंत्र रचने, मनी लॉंडरिंग और उसकी कंपनी के निदेशक आशीष लाड को जान से मारने की धमकी देकर न्याय प्रक्रिया के विरुद्ध कार्य करने का आरोप है। इस संबंध में एक प्रकरण सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (सीबीआई) और दूसरा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) में चल रहा है।
भारत सरकार द्वारा नीरव मोदी के प्रत्यर्पण की पहली याचिका 27 जुलाई, 2018 में की गई थी। इस प्रकरण में सुनवाई करते हुए वेस्टमिन्स्टर न्यायालय ने फरवरी 2021 में प्रत्यर्पण का आदेश दिया था।
Join Our WhatsApp Community