गुजरात और हिमाचल प्रदेश में इन दिनों चुनावी सरगर्मियां चरम पर हैं। सभी महत्वपूर्ण पार्टियां इन दोनों प्रदेशों में चुनाव प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंक रही हैं। इन दोनों प्रदेशों में पहले से ही भारतीय जनता पार्टी की सरकार है। इस हिसाब से भाजपा के सामने चुनौतियां बड़ी हैं। भाजपा के बाद अन्य महत्वपूर्ण पार्टियों में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी शामिल हैं।
वर्तमान में गुजरात और हिमाचल प्रदेश में भाजपा की स्थिति मजबूत तो दिख रही है, लेकिन मतदाताओं के मूड का आकलन अभी से कर पाना मुश्किल है। हालांकि इन प्रदेशों के चुनावों में कांग्रेस को कोई बड़ी सफलता नहीं मिलती दिख रही है। आम आदमी पार्टी की दिल्ली से निकलकर पंजाब में सत्तासीन होने के बाद आम आदमी पार्टी का हौसला बढ़ा हुआ है। आप प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सहित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनाव प्रचार में एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं।
भारत जोड़ो यात्रा के बीच कमजोर हो रही है कांग्रेस
दरअस्ल गुजरात में 1995 से भाजपा की सरकार है। चुनाव दर चुनाव कमजोर हो रही कांग्रेस को यहां चुनाव से पहले ही कई बार झटके लग चुके हैं। हार्दिक पटेल और अल्पेश ठाकोर सहित कई नेता पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थाम चुके हैं। एक तरफ जहां कांग्रेस के नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में भारत जोड़ो यात्रा पर हैं। वहीं पार्टी को झटके पर झटके लग रहे हैं।
गोवा के बाद हिमाचल और गुजरात में कांग्रेस में भगदड़
गोवा में 11 में से 8 विधायकों के भाजपा में शामिल होने के बाद गुजरात और हिमाचल में भी कांग्रेस को कई झटके लग चुके हैं। हाल ही में हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के 26 नेता भाजपा में शामिल हो चुके हैं, वहीं गुजरात में पिछले चंद दिन में बड़े झटके लग चुके हैं। यहा की तलाला सीट से कांग्रेस विधायक बाघा बराड़ ने सभी पदों से त्याग पत्र देकर भाजपा का दामन थाम लिया। गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को 8 नवंबर को बड़ा झटका लग चुका है। पार्टी के विधायक और आदिवासी नेता मोहनसिंह राठवा ने विधायक पद से त्याग पत्र देकर भाजप का दामन थाम लिया था। कांग्रेस के टिकट पर 11 बार चुनाव लड़कर 10 बार जीतनेवाले मोहन सिंह राठवा ने पार्टी छोड़ दी है। अब उनका अगला ठिकाना भाजपा है।
गुजरात में कांग्रेस को लगे कई झटके
गुजरात में नेताओं की उठा- पटक शुरू हो चुकी है। इसमें सबसे बड़ा झटका कांग्रेस को ही लगा है। राज्य विधान सभा में सबसे वरिष्ठ विधायक मोहन सिंह राठवा ने कांग्रेस का हाथ छोड़ दिया है। उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया है। मोहन सिंह राठवा को कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया है। इससे भी वे नाराज बताए जा रहे हैं। पार्टी छोड़ने का यह सिलसिला आगे भी जारी रहने की आशंका है।
दोनों प्रदेशों में भाजपा की स्थिति मजबूत
जहां तक आम आदमी पार्टी का सवाल है, तो हिमाचल प्रदेश और गुजरात में पार्टी के पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है। इस हिसाब से देखें तो पार्टी को दोनों प्रदेशों में लाभ मिलना तय है, लेकिन राजनीतिक परिस्थितियों का आकलन करें तो ये स्पष्ट है कि पंजाब जैसी स्थिति इन दोनों ही प्रदेशों में संभव नहीं है। इन दोनों प्रदेशों में भाजपा की वापसी होती दिख रही है। हालांकि हिमाचल प्रदेश में अब तक पांच वर्ष भाजपा और पांच वर्ष कांग्रेस की सरकार की परंपरा रही है। लेकिन इस बार राजनैतिक स्थिति ऐसी नहीं दिख रही है कि इस प्रदेश में कांग्रेस को बहुमत मिल जाए।
लोकसभा चुनाव 2024 पर पड़ेगा प्रभाव
फिलहाल इन दोनों प्रदेशों के चुनाव परिणामों का 2023 में देश के नौ प्रदेशों में होने वाले चुनावों के साथ ही 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिलना तय है। इन नौ प्रदेशों में से दो राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है। कांग्रेस के लिए इन दो प्रदेशों को बचा पाना आसान नहीं है। राजस्थान में जहां पार्टी में करीब दो वर्षों से जबरदस्त गुटबाजी जारी है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट गुट में कई बार टकराव देखी जा चुकी है। हालांकि जैसे-तैसे गहलोत की सरकार टिकी हुई तो है, हालांकि 2023 तक वहां की क्या राजनीतिक स्थिति होगी, ये कहना मुश्किल है। लेकिन इतना निश्चित है कि राजा-महराजाओं के इस प्रदेश में कांग्रेस की अग्निपरीक्षा होगी।
राजस्थान में कांग्रेस का लिटमस टेस्ट
राजस्थान में कांग्रेस का मुख्य मुकाबला भले ही भाजपा से है, लेकिन आम आदमी पार्टी की एंट्री होना भी तय है। इससे भाजपा को कम लेकिन कांग्रेस को भारी नुकसान हो सकता है। अगर गुजरात और हिमाचल प्रदेश में भाजपा की वापसी होती है, तो पार्टी का हौसला काफी बढ़ा रहेगा और इसका असर 2023 में होने वाले चुनाव के साथ ही 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव पर पड़ना तय है।
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के सामने बड़ी चुनौती
कांग्रेस शासित दूसरा प्रदेश छत्तीसगढ़ है। इस प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है और यहां मुख्यमंत्री भूपेश बघेल हैं। इस प्रदेश में भी कांग्रेस को भाजपा से मजबूत टक्कर मिलेगी। इसका एक कारण यह है कि यहां पहले भाजपा की ही सरकार थी। भाजपा यहां इस बार एक बार फिर सत्ता में आने के लिए बेसब्र है। इसलिए कांग्रेस के लिए इस प्रदेश में भी वापसी आसान नहीं होगी।
2023 में नौ राज्यों में चुनाव
2022 के ये चुनाव 2023 में होने वाले देश के नौ प्रदेशों के चुनाव के ट्रेलर साबित होंगे। इन चुनावों के परिणाम किसी भी पार्टी के भविष्य की दिशा और दशा तय करने में मददगार साबित हो सकते हैं। 2023 में राजस्थान, मध्य प्रदेश, चत्तीसगढ़, कर्नाटक, तेलंगाना, त्रिपुरा, मेघालय, नागालैंड और मिजोरम में विधानसभा चुनाव होने हैं।
भाजपा की वापसी, कांग्रेस होगी कमजोर और आप की एंट्री
निश्चित रूप से गुजरात हिमाचल प्रदेश के परिणामों का प्रभाव 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों पर भी पड़ेगा। फिलहाल पार्टियों की स्थिति देखकर यही लगता है कि 2024 में भाजपा मजबूत हो न हो, लेकिन उसकी वापसी तय है। कांग्रेस के भविष्य का फैसला गुजरात और हिमाचल प्रदेश के परिणाम के बाद राजस्थान और छत्तीसगढ़ चुनाव में विशेष रूप से होगी। इसके बावजूद कांग्रेस की चुनाव दर चुनाव कमजोर होने का सिलसिला आगे भी जारी रहने की उम्मीद है।
आम आदमी पार्टी को लाभ मिलना तय
भाजपा और कांग्रेस की स्थिति के बीच आम आदमी पार्टी की एंट्री भारत की राजनीति में ऐतिहासिक साबित हो सकती है। भविष्य में कांग्रेस की दुर्गति होने के साथ ही आम आदमी पार्टी की प्रगति हो सकती है। आम आदमी पार्टी के पास वैसे भी पाने के लिए बहुत कुछ है लेकिन खोने के लिए कुछ भी नहीं है।