भाजपा ने जारी किया ऐसा पोस्टर, केजरीवाल को बताया लुटेरा

शहजाद पूनावाला ने कहा कि नई आबकारी नीति जब तक लागू रही, उस दौरान दिल्ली के सरकारी खज़ानों में 1800 करोड़ रुपये की चपत लगी।

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भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने 13 नवंबर को दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के फोटो सहित लुटेरा नाम का एक पोस्टर जारी किया। जिसमें पिछले आठ सालों से अरविंद केजरीवाल सरकार में चल रही घटनाओं का संक्षेप विवरण है।

पूनावाला ने एक प्रेसवार्ता में तंज कसते हुए कहा कि एक लुटेरा नाम की फिल्म आई थी लेकिन फिलहाल दिल्ली के अंदर अरविंद केजरीवाल निर्देशित फिल्म लुटेरा चल रही है, जिसमें मनीष सिसोदिया, सत्येन्द्र जैन, कैलाश गहलोत और सुकेश चंद्रशेखर मुख्य भूमिका में हैं।

घोटालों का दिया विवरण
राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि केजरीवाल सरकार के घोटालों को याद दिलाते हुए कहा कि हवाला घोटाला, बस घोटाला, क्लासरूम घोटाला, बिजली सब्सिडी में घोटाला, श्रमिकों का फर्जी रजिस्ट्रेशन करवाकर घोटाला, जलबोर्ड के माध्यम से 20 करोड़ की लूट हो या फिर शराब घोटाला हो जिसमें केजरीवाल ने शराब माफियाओं को फायदा पहुंचाने के लिए दिल्ली के करदाताओं के पैसों को पानी की तरह बहाने का काम किया।

पूनावाला ने कहा कि शराब घोटाले में अभी तक किसी को बेल नहीं मिली है। कैश कलेक्शन एक्सपर्ट विजय नायर भी जेल के अंदर है। शराब घोटालों के अंदर जिस तरह से दिल्ली के खजाने को लूटने का काम किया गया उसका खुलासा भी आरटीआई के तहत हुआ है। नई शराब नीति के तहत 5036 करोड़ रुपये सरकारी खजाने में आए। सितंबर 2022 में जब पुरानी पॉलिसी को लागू किया गया तो सरकारी आंकड़ों के हिसाब से 768 करोड़ रुपये की कमाई हुई।

उन्होंने कहा कि मतलब स्पष्ट है कि नई आबकारी नीति के तहत दिल्ली के सरकारी खजानों में प्रतिदिन आने वाले 17.5 करोड़ रुपये पुरानी नीति के तहत प्रतिदिन 25.5 करोड़ रुपये आने लगे। यानि प्रतिदिन 8 करोड़ रुपये अतिरिक्त फायदा पुरानी नीति के कारण सरकार को होने लगा जो यह बताता है कि नई आबकारी नीति सिर्फ दिल्ली की सरकारी खज़ाने को लूटने के लिए लाया गया था।

पूनावाला ने कहा कि नई आबकारी नीति जब तक लागू रही उस दौरान दिल्ली के सरकारी खज़ानों में 1800 करोड़ रुपये की चपत लगी। गरीबों के सरकारी खज़ानों को शराब माफियाओं की जेब भरने का काम किया। उन्होंने सवाल किया कि अगर पॉलिसी अच्छी थी तो उसे वापस लेने को मजबूर क्यों हुए? ब्लैक लिस्टेड कंपनियों को क्यो लाइसेंस दिए गए। जिन कंपनियों को नोटिस जारी की गई थी उन पर केजरीवाल सरकार ने क्या कार्रवाई की है। कमीशन बढ़ाने की क्या जरुरत पड़ी।

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