म्हापासा में गोवा प्रांतीय हिंदू राष्ट्र जागृति सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन में विशेष रूप से उपस्थित स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के कार्याध्यक्ष रणजीत सावरकर ने कहा कि हमें अपनी गलतियों से सीखना चाहिए। हमें पुर्तगालियों द्वारा गोवा में मंदिरों के विनाश के इतिहास को नहीं भूलना चाहिए। उन्होंने कहा कि तोड़े गए मंदिरों का मूल स्थान कहां था, उन्हें वहां से क्यों स्थानांतरित करना पड़ा, वहां क्या अत्याचार किए गए, इसका इतिहास प्रत्येक मंदिर के परिसर में प्रदर्शित किया जाना चाहिए। हिंदुओं को ‘मुझे क्या करना है’ का रवैया छोड़कर इतिहास दोहराने से बचना चाहिए। जब एक हिंदू मजबूत हो जाएगा, तभी कोई उसकी तरफ नजर उठाकर देखने की हिम्मत नहीं करेगा। ‘स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक’ के कार्याध्यक्ष और स्वातंत्र्यवीर सावरकर के पोते रणजीत सावरकर ने कहा कि इसकी शुरुआत गोवा से की जानी चाहिए।
हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से श्री सिद्धनाथ नारायण देवस्थान सभागार, काणका, म्हापसा में प्रांतीय हिंदू-राष्ट्र जागरूकता सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस अधिवेशन के उद्घाटन के अवसर पर रणजीत सावरकर बोल रहे थे। इस समय मंच पर राष्ट्रीय बजरंग दल के नितिन फलदेसाई एवं हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता रमेश शिंदे मौजूद थे।
गोमांतक हिंदुओं की भूमि
प्रारंभ में रणजीत सावरकर द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर सत्र की शुरुआत की गई। इस अवसर पर हिन्दू जनजागृति समिति के रमेश शिंदे ने कहा, “गोमांतक हिंदुओं की भूमि है। गोमांतक के वास्तविक इतिहास को जनता के सामने लाने और इसकी परंपराओं, संस्कृति आदि की रक्षा के लिए ‘हिंदू राष्ट्र’ की स्थापना समय की मांग है।” नितिन फलदेसाई ने कहा, ‘गोमांतकी हिंदुओं पर पुर्तगालियों द्वारा ‘इनक्विजिशन’ के जरिए किए गए अत्याचारों को ‘गोवा फाइल्स’ प्रदर्शनी के माध्यम से जनता के सामने लाया गया है।”
फ्रांसिस जेवियर, जिसने ‘इंक्विजिशन’ थोपकर गोमांतकियों पर क्रूरतापूर्वक अत्याचार किया, वो गोवा का साहब कैसे बन सकता है? शैलेंद्र वेलिंगकर ने ‘गोवा में धर्मांतरण रोकने के प्रयास और राज्य में धर्मांतरण निषेध अधिनियम लाने की आवश्यकता’ पर मार्गदर्शन किया।
हिंदुओं को मंदिरों के माध्यम से धार्मिक शिक्षा देनी चाहिए
अधिवेशन के तीसरे सत्र में ‘पुर्तगालियों द्वारा नष्ट किए गए मंदिरों के पुनर्निर्माण के संबंध में हिंदुओं की मांग’ विषय पर संगोष्ठी में जयेश थली और हिंदू जनजागृति समिति के दक्षिण गोवा समन्वयक सत्यविजय नाइक द्वारा मार्गदर्शन किया गया। जयेश थली ने कहा, ”हिंदुओं को मंदिरों के माध्यम से धार्मिक शिक्षा देनी चाहिए।”
सोशल मीडिया के उपयोग पर जोर
अभिजीत देसाई ने इस संबंध में मार्गदर्शन करते हुए कहा, “चूंकि आज की पीढ़ी सोशल मीडिया पर निर्भर है, इसलिए हमें सोशल मीडिया के माध्यम से त्योहारों, संस्कृति और हिंदू धर्म के संरक्षण के बारे में जागरूकता फैलानी चाहिए।”
मंदिरों के साथ भेदभाव
इससे पहले 12 नवंबर को गोमांतक मंदिर महासंघ और गोवा मंदिरों के ट्रस्टियों का मार्गदर्शन करते हुए, राष्ट्रीय प्रवक्ता हिन्दू जनजागृति समिति के रमेश शिंदे ने कहा, “अगर कोई मंदिर सड़क चौड़ा करते समय समस्या बन जाता है, तो उसे ‘बुलडोजर’ से गिरा दिया जाता है; लेकिन अगर अन्य धर्मों के पूजा स्थल एक समस्या साबित होते हैं, तो उन्हें कानूनी रूप से स्थानांतरित किया जाता है। मंदिरों के मामले में ऐसी भावना क्यों? इसके लिए मंदिर के ट्रस्टियों को सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का अध्ययन करना चाहिए।