मुंबई/ काशी। भारत की राष्ट्रीय नदी गंगा और इसके जल की महिमा का गुणगान युग-युगांतरों से होता आया है। इसलिए इसे मोक्षदायिनी और जीवनदायिनी भी कहा जाता है। अब कलयुग में चीन के वुहान शहर से निकले कोरोना वायरस का इलाज भी गंगा के पवित्र जल से सभंव होने का दावा किया जा रहा है। बनारस हिंदू विश्वविदयालय के इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में हुए रिसर्च में यह पता चला है कि गंगाजल में मौजूद वैक्टेरियोफेज कोरोना को मात देने की ताकत रखते हैं।
फिलहाल इसपर रिसर्च होना बाकी है लेकिन इसके प्रारंभिक सर्वे में पाया गया है कि गंगा किनारे रहनेवाले जो लोग नियमित रुप से इसका पानी पीते हैं और इसमें स्नान करते हैं, उनपर कोरोना वायरस का अटैक काफी कम असर करता है और वे काफी हद तक सुरक्षित हैं।
एथिकल कमेटी को भेजी गई रिपोर्ट
अभी तक के सर्वे की पूरी जानकारी आईएमएस एथिकल कमिटी को भेज दी गई है। फिलहाल प्रो.वी. भट्टाचार्य की अध्यक्षता में काम करनेवाली 12 सदस्यीय एथिकल कमेटी की मंजूरी का इंतजार है। जैसे ही इसकी मंजूरी मिल जाएगी, कोरोना मरीजों पर इसका ट्रायल शुरू हो जाएगा।
मिली जानकारी काफी उत्साहवर्धक
दरअस्ल जब पूरी दुनिया कोरोना को मात देने के लिए तमाम तरह की दवा और वैक्सीन बनाने में युद्ध स्तर पर जुटी है, तब इसके इलाज के लिए गंगाजल को लेकर अबतक के शोध से मिली जानकारी काफी उत्साहवर्धक है। इसी क्रम में बीएचयू के डॉक्टर भी कोरोना पर वायरोफेज नाम रिसर्च करने में जुटे हैं। न्यूरोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ. रामेश्वर चौरसिया और नामी न्यूरोलॉजिस्ट प्रो. वी.एन. मिश्रा की टीम ने अबतक के सर्वे के बारे में बताया कि गंगा का पानी कोरोना को मात देने में कारगर सिद्ध हो सकता है।
गंगा किनारे के जिले कोरोना से सुरक्षित
टीम का दावा है कि गंगा किनारे के 46 जिलों में कोरोना संक्रमण काफी कम है और कुछ लोग संक्रमित हो भी रहे हैं तो वे बहुत जल्द ही स्वस्थ हो जा रहे हैं। वायरोफेज रिसर्च टीम के अध्यक्ष प्रो. वी.एन. मिश्र ने बताया कि गोमुख से लेकर गंगा सागर तक सौ जगहों से नूमना लेकर पानी में ए-बायोटिकफेज ज्यादा पाए जानेवाली जगहों का पता लगया गया है। इसके लिए कोरोना संक्रमितों की फेज थेरेपी के लिए गंगाजल का नेजल स्प्रे भी तैयार किया गया है।
‘अतुल्य गंगा’ संगठन ने भी एनएमसीजी को पत्र लिखा
इससे पहले राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) को लिखी गई चिट्ठी में ‘अतुल्य गंगा’ संगठन ने दावा किया था कि पर्वतीय क्षेत्रों में गंगा नदी में अच्छे बैक्टीरिया की कई प्रजातियां पाई जाती हैं, जो नदी के जल को दिव्य गुणों से भर देती हैं। इन बैक्टीरिया को साइंटिस्टों ने ‘निंजा वारियर्स’ का नाम दिया है। अब मांग की गई है कि गंगा की इन्हीं खूबियों की पहचान कर कोरोना वायरस के संक्रमण को दूर करने में इसका उपयेग किया जाना चाहिए।
कई बीमारियों में माना जाता है कारगर
गंगा मामलों के एक्सपर्ट और इलाहाबाद हाईकोर्ट के एमिकस क्यूरी एडवोकेट अरुण गुप्ता का दावा है कि गंगाजल पीकर न सिर्फ इम्युनिटी को बढ़ाते हुए कोरोना को मात दी जा सकती है, बल्कि इसमें मौजूद बैक्टीरियोफाज तमाम दूसरे वायरसों की तरह कोरोना को भी खत्म कर लोगों को इस बीमारी से निजात दिला सकता है। इसके साथ ही कई रिसर्च के नतीजों का हवाला देते हुए भी कहा गया है कि गंगा का वायरस कई मामलों में बहुत असरकारक होता है। अलग-अलग अध्ययनों में ये साबित हो चुका कि हैजा, पेचिश, मेनिन्जाइटिस और टीबी जैसी गंभीर रोगों के बैक्टीरिया भी गंगा जल से खत्म किए जा सकते हैं।