देश भर में फैले 7516 किमी. के समुद्र तट और भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्रों में नौसेना ने दो दिनों तक तटीय रक्षा अभ्यास ‘सी विजिल’ चलाकर समुद्री सुरक्षा परखी। मुंबई हमले के बाद देशभर के समुद्री तटों की सुरक्षा के लिए शुरू किए ‘सी विजिल’ का यह तीसरा संस्करण था। इस अभियान में मछुआरों और तटीय समुदायों सहित अन्य समुद्री हितधारकों के साथ सभी तटीय राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को भी शामिल किया गया।
दो दिवसीय तटीय रक्षा अभ्यास ‘सी विजिल’ 15-16 नवंबर को आयोजित किया गया था। इस अभ्यास में देश के पूरे समुद्र तट और विशेष आर्थिक क्षेत्रों में शांति से लेकर युद्ध-काल तक की आकस्मिक स्थितियों के लिहाज से सुरक्षा-व्यवस्था को परखा गया। इसके अलावा तटीय सुरक्षा तंत्र में किसी भी तरह का उल्लंघन होने की स्थिति में तट पर शमन उपायों को भी शामिल किया गया था। इस अभ्यास में तटीय रक्षा तंत्र और तटीय सुरक्षा निर्माण में शामिल नौ तटीय राज्यों और चार केंद्रशासित प्रदेशों की 17 से अधिक सरकारी एजेंसियों ने भी भागीदारी की। अभ्यास के दौरान बंदरगाहों के सुरक्षा तंत्र को भी परखा गया। आपातस्थिति से निपटने के लिए सभी बंदरगाहों की संकट प्रबंधन योजनाओं का मूल्यांकन किया गया।
अभ्यास सी विजिल के इस संस्करण में सभी समुद्री सुरक्षा एजेंसियों से सबसे बड़ी भागीदारी देखी गई। इस अभ्यास में भारतीय नौसेना, तटरक्षक, राज्यों की समुद्री/तटीय पुलिस, सीमा शुल्क, वन विभाग, बंदरगाह प्राधिकरणों और निजी ऑपरेटरों की 500 से अधिक सतह संपत्तियों ने भाग लिया। देश की तटरेखा को नौसेना और तटरक्षक बल के जहाजों एवं विमानों की निगरानी में रखा गया। अपतटीय प्लेटफार्मों पर काम करने वाले विशेष अभियान कर्मियों को भी इस अभियान में लगाया गया। समुद्री आतंकवाद से निपटने के लिए राज्य पुलिस टीमों, भारतीय नौसेना के समुद्री कमांडो और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड के कमांडो का अभ्यास किया गया।
इस अभ्यास के दौरान पूरे तटीय राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 800 से अधिक एनसीसी कैडेट्स भी उत्साह के साथ शामिल हुए। इस राष्ट्रव्यापी अभ्यास में एनसीसी कैडेटों के बीच जागरुकता में वृद्धि हुई। अभ्यास के दौरान राष्ट्रीय कमान, नियंत्रण, संचार और खुफिया नेटवर्क नामक तकनीकी निगरानी सिस्टम को भी मान्य किया। गुरुग्राम (हरियाणा) स्थित सूचना प्रबंधन एवं विश्लेषण केंद्र और इसके विभिन्न नोड्स ने नौसेना और आईसीजी स्टेशनों पर निगरानी और सूचना प्रसार तंत्र के समन्वय के लिए प्रयोग किए। इस अभ्यास में शामिल विभिन्न एजेंसियों के बीच सहयोग और समन्वय तटीय रक्षा से समुद्री क्षेत्र में राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ाने में मदद मिलेगी।
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