अमेरिका के नये राष्ट्रपति जो बाइडन ने चीन की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। उन्होंने दक्षिण चीन सागर में युद्धपोतों की तैनाती कर उसे सीधी चुनौती दी है। 24 जनवरी को अमेरिकी सेना ने कहा कि युएसएस थीयोडोर रुजवेल्ट के नेतृत्व में विमानवाहक युद्धपोतों के समूह ने नौवहन की स्वतंत्रता को सुरक्षित करने के लिए दक्षिण चीन सागर में प्रवेश किया है। अमेरिका ताइवान में चीन की बढ़ती दखलंदाजी की वजह से उससे नाराज है। अमेरिका के तेवर से ड्रैगन की बौखलाहट बढ़ गई है।
अमेरिका इसलिए हुआ नाराज
अमेरिकी इंडो-पैसिफिक कमांड ने एक बयान में कहा है कि युद्धपोत 23 जनवरी को साउथ चायना सी में पहुंचे हैं। उस दिन ताइवान ने कहा था कि बड़ी संख्या में चीन के बॉम्बर्स और फाइटर जेट्स ने उसके एयर फोर्स डिफेंस आइडेंटिफिकेशन जोन में घुसपैठ की है।
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अमिरिकी सेना ने बताया रुटीन ऑपरेशन
अमेरिकी सेना ने कहा है कि उनके कुछ युद्धपोत रुटीन ऑपरेशन के लिए साउथ चायना सी में हैं, ताकि सागर में स्वतंत्रता सुनिश्चित की जा सके। स्ट्राइक ग्रुप के कमांडर डौग वेरिसिमो ने कहा कि 30 साल के करियर में दोबारा यहां आकर अच्छा लगा। हम रुटीन ऑपरेशन को अंजाम दे रहे हैं, ताकि सागर की आजादी सुनिश्तित रहे और समारे सहयोगी तथा भागीदार आश्वस्त रहें।
चीन ने बढ़ाया ताइवान पर दबाव
बता दें कि डोनाल्ड ट्रंप की अमेरिका के राष्ट्रपति पद से विदाई के बाद चीन ने ताइवान पर अपना दबदबा बढ़ाना शुरू कर दिया है। राजनीति के जानकारों का मानना है कि ड्रैगन इस देश को निगलने की फिराक में है। लेकिन अमेरिका ने ताइवान को लेकर सख्त संदेश दिए हैं। उसने कहा है कि डराने-धमकाने की रणनीति क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए खतरा पैदा करेगी।
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चीन को सलाह
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि ताइवान सहित अपने पड़ोसियों को धमकाने के पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चायना के प्रयासों को लेकर अमेरिका चिंतित है। उन्होनें चीन से अनुरोध किया कि वह ताइवान पर अपने सैन्य, राजनयिक और आर्थिक दबाव को समाप्त करके लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए ताइवान के प्रतिनिधियों के साथ सार्थक बातचीत के लिए कदम उठाए। प्राइस ने कहा कि अमेरिका आत्म रक्षा क्षमताओं को बरकार रखने के लिए ताइवान की पूरी मदद करेगा। ताइवान के प्रति अमेरिका की प्रतिबद्धता है। उन्होंने भरोसा जताया कि ताइवान जलडमरुमध्य के आरपार और अपने क्षेत्र मे शांति तथा स्थिरता बनाए रखने में योगदान देगा।